Skip to main content

Posts

Featured

उजियारी पूनौं

           आश्विन मास की शरद पूर्णिमा जिस दिन टेसू और झिझिया का विवाह हुआ था । कुंआरी कन्यायें रात्रि भर झिंझिया को लेकर नाचती हैं । इसे कोजागिरी‌ पूनौंभी कहते हैं ।को। +जागे री अर्थात इस समय कौन जाग रहा है यह देखने के लिये लक्ष्मी जी भ्रमण करती हुई जागने वालों को सुख संपदा एवं स्वास्थ्य  का वरदान देती हैं ।शरद पूर्णिमा की रात को निर्मल स्वच्छ धवल चंद्रमा अपनी शीतल चंद्र किरणों से अमृत वर्षा करते हुये पृथ्वी के सबसे निकट होते हैं ।उनका शीतलता प्रदान करता हुआ आने वाली शीत ऋतु के आगमन के लिये हमारे शरीर को अपनी शीतल चांदनी में पकाई हुई खीर को शीतलता प्रदान कर अमृत की वर्षा करता है ।आज की इस रात्रि का विशेष महत्व है ।यह जीव की ब्रह्म से मिलन की रात्रि है जिसमें श्री कृष्ण ने रास मंडल के द्वारा अपने सभी गोप ग्वालों ए्वं राधा जी ने अपनी सखियों के साथ बांसुरी की सुर लहरी पर ताल से ताल मिलाते हुये नृत्य किया था ।अपनी बाँसुरी की धुन पर सभी को नचाते हुये ब्रह्म रूपी श्रीकृष्ण और जीव रूपी राधा के साथ गोपियां। जिसे देख कर स्वयं  महादेव भी अपने आपको नही रोक पाये और गोपी का रूप धारण कर श्रीकृष्ण के

Latest Posts

टेसू और झिंझिया बुंदेलखंड की अपनी विरासत

हिंदी

बेटियां- वंदना दवे

अमृत महोत्सव- इंदिरा कुमारी

बेटियां - वंदना दवे, भोपाल

दिव्य दर्शन- इंदिरा कुमारी

सावन की पहली बारिश

बधाई महामहिम

आधुनिक सावन- इंदिरा कुमारी

अराजकता- इंदिरा कुमारी