नई शिक्षा नीति 2020
परिचय-
भारत की नई शिक्षा नीति 2020 शिक्षा नीति है। इसे भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया है। यह शिक्षा प्रणाली 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद पहला नया बदलाव। डॉ॰ राधाकृष्णन की अध्यक्षता में 1948 में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग का गठन हुआ था। तभी से राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण होना भी शुरू हुआ। कोठारी आयोग (1964-1966) की सिफारिशों पर आधारित 1968 में पहली बार महत्त्वपूर्ण बदलाव वाला प्रस्ताव इन्दिरा गांधी के प्रधानमन्त्री काल में पारित हुआ था। 'शिक्षा की चुनौती' नामक एक दस्तावेज अगस्त 1985 में तैयार किया गया जिसमें भारत के विभिन्न वर्गों जैसे सामाजिक, राजनैतिक, व्यावसायिक, प्रशासकीय आदि ने अपनी शिक्षा सम्बन्धी टिप्पणियाँ दीं एवं 1986 में भारत सरकार ने 'नई शिक्षा नीति 1986' का प्रारूप तैयार किया। इस नीति की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इसमें सारे देश के लिए एक समान शैक्षिक ढाँचे को स्वीकार किया और अधिकांश राज्यों ने 10 + 2 + 3 की संरचना को अपनाया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 2019 में नई शिक्षा नीति के लिये जनता से सलाह मांगी थी।
नई शिक्षा नीति 2020-
नई नीति के अंतर्गत मानव संसाधन मंत्रालय का नाम "शिक्षा मंत्रालय" किया गया है। इसमें समस्त उच्च शिक्षा (कानूनी एवं चिकित्सीय शिक्षा को छोड़कर) के लिए एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग का गठन करने का प्रावधान है। संगीत, खेल, योग आदि को सहायक पाठ्यक्रम या अतिरिक्त पाठ्यक्रम की बजाय मुख्य पाठ्यक्रम में ही जोड़ा गया है। शिक्षा तंत्र पर सकल घरेलू उत्पाद का कुल 6 प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य है जो इस समय 4.43% है। ऍम॰ फिल॰ को समाप्त किया जायेगा एवं अब अनुसंधान में जाने के लिये तीन साल के स्नातक डिग्री के बाद एक साल स्नातकोत्तर करके सीधे पीएचडी में प्रवेश लिया जा सकता है।
व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की गई है। प्राइवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस रखने और बढ़ाने को भी रोकने का प्रयास किए जाएगे। पहले 'समूह' के अनुसार विषय चुने जाते थे, किन्तु अब उसमें भी बदलाव किया गया है। जो छात्र इंजीनियरिंग कर रहे हैं वह संगीत को भी अपने विषय के साथ पढ़ सकते हैं। नेशनल साइंस फाउंडेशन के तर्ज पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन लाई जाएगी जिससे पाठ्यक्रम में विज्ञान के साथ सामाजिक विज्ञान को भी शामिल किया जाएगा। नीति में पहले और दूसरे कक्षा में गणित और भाषा एवं चौथे और पांचवें कक्षा के बालकों के लेखन पर जोर देने की बात कही गई है।
स्कूलों में 10 +2 फार्मेट के स्थान पर 5 +3+3+4 फार्मेट को शामिल किया जाएगा। इसके तहत पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा दो सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। पहले जहां सरकारी स्कूल कक्षा एक से शुरू होती थी वहीं अब तीन साल के प्री-प्राइमरी के बाद कक्षा एक शुरू होगी। इसके बाद कक्षा 3-5 के तीन साल शामिल हैं। इसके बाद 3 साल का मिडिल स्टेज आएगा अथार्त कक्षा 6 से 8 तक की कक्षा। चौथा स्टेज (कक्षा 9 से 12वीं तक का) 4 साल का होगा। अब कक्षा 9 वीं से विषय चुनने की आजादी रहेगी। कक्षा पहली से पांचवीं तक मातृभाषा का इस्तेमाल किया जायेगा।
विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए समान प्रवेश परीक्षा की बात कही गई है। किसी कारणवश विद्यार्थी उच्च शिक्षा को बीच में ही कोर्स छोड़ के चले जाते हैं तो अब उन्हें नई शिक्षा नीति अनुसार पहले वर्ष में कोर्स को छोड़ने पर प्रमाण पत्र, दूसरे वर्ष पे छोड़ने पर डिप्लोमा एवं अंतिम वर्ष पे छोड़ने पर डिग्री देने का प्रावधान है।
नई शिक्षा नीति पर प्रतिक्रियाएं-
नई शिक्षा नीति की घोषणा के पश्चात् कई बुद्धिजीवियों, आम जनता एवं शिक्षा जगत ने प्रतिक्रिया दी है। अधिकांश लोगों ने इसमें घोषित बदलावों का स्वागत किया गया है।परन्तु कई ने इसके लक्ष्य के पूरा होने पर संदेह व्यक्त किया गया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति एम॰ जगदीश कुमार ने इस शिक्षा नीति को समावेशी कहा है। तो वही दिल्ली विश्वविद्यालय के संगठन दूटा (DUTA) ने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए इसे आपत्तिजनक माना है जिसका कहना है कि इसके द्वारा विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को बोर्ड ऑफ़ गवर्नर के ज़िम्मे झोंक देना अनुचित है।
नई शिक्षा नीति 2020 सवाल-जवाब -
1. सवाल: नई शिक्षा नीति कब लागू होगी?
जवाब: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुझावों को पूरी तरह से लागू करने के लिए 2040 तक का समय निर्धारित किया गया है। परन्तु इसके कई सुझाव दो-तीन सालों में लागू हो सकते हैं।
2. सवाल: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बताए गए बदलाव कैसे लागू होंगे?
जवाब: राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अभी शिक्षा सुधारों के सुझावों को मंजूरी मिली है। इन सुधारों का क्रियान्वयन होना बाकी है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा में सुधार के जो सुझाव दिए गए हैं, वो राज्य सरकारों व केंद्र के सहयोग से लागू किए जाएंगे। आवश्यक हुआ तो इनमें कुछ बदलाव भी किए जाने की संभावना है।
3. सवाल: क्या बोर्ड की परीक्षाएं नहीं होंगी?
जवाब: बोर्ड की परीक्षाएं होंगी, लेकिन इनके महत्व को कम किया जाएगा। बोर्ड परीक्षाओं को दो हिस्सों- वस्तुनिष्ठ और व्याख्त्मक श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
संदर्भ सूचि-
1. हिंदी विकिपीडिया- नई शिक्षा नीति 2020
2. हिंदुस्तान समाचार पत्र
3.अमर उजाला समाचार पत्र ।
yes.. very nice
ReplyDeleteThank U...
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