संस्कृत से है हमारी संस्कृति इससे नई पीढ़ी को जोड़े (Our culture is from Sanskrit, add a new generation to it)



                विश्व की सबसे प्राचीन भाषा हमारी देवभाषा संस्कृत है। अधिकांश प्राचीन ग्रंथ संस्कृत में ही लिखे गये है। आज भी हिन्दू धर्म में पूजा, यज्ञ, विवाह आदि महत्वपूर्ण कार्यो को संस्कृत के श्लोकों द्वारा ही पूर्ण किया जाता हैं। साहित्य के साथ ही इसकी सुस्पष्ट व्याकरण और विज्ञान के कारण आज भी यह सभी भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ है। किन्तु विडम्बना है की हम हमारी देवभाषा को विस्मृत करते जा रहे है। यहां तक की हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा याने 'रक्षाबंधन' के दिन को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है, कुछ चुनिंदा लोग ही यह जानते है और इसका उत्सव मनाते है। सरकार के तरफ से जरूर इसमें कुछ रूचि ली गयी है और संस्कृत दिवस व संस्कृत सप्ताह का आयोजन किया जाने लगा है। जिसमें संस्कृत में कहानी, नाटक, कविताओं का मंचन होने लगा है। किन्तु हमें सिर्फ यही तक ही सिमित नहीं रहना है बल्कि इसे हमारी नई पीढ़ी के बच्चों को भी सीखाना है। संंस्कृत में इतने अच्छे श्लोक है जिनका हम प्रतिदिन स्मरण कर ईश्वर की आराधना, प्रार्थना, आभार व्यक्त कर सकते है। संस्कृत से बच्चें संस्कार, सद्वविचार, अध्यात्म, दर्शन, ज्ञान-विज्ञान आदि से जुड़े रह सकेंगे एवं अच्छे समाज का निर्माण कर राष्ट्र की उन्नति करेंगे।

Our oldest language is Sanskrit, the oldest language in the world.
Most of the ancient texts are written in Sanskrit itself.
Even today, important works like worship, yajna, marriage etc. in Hinduism are completed by Sanskrit verses.
Due to its clear grammar and science along with literature, it is still the best among all languages.
But the irony is that we are forgetting our language.
Even every year Shravan Poornima i.e. 'Rakshabandhan' day is celebrated as Sanskrit day, only few people know it and celebrate it.
Certain interest has been taken by the government and Sanskrit Day and Sanskrit Week are being organized. In which story, drama, poems are being staged in Sanskrit.
But we do not just have to remain confined to this but also teach it to the children of our new generation.
There are so many good verses in Sanskrit, which we can remember daily and worship, pray, and thank God.
From Sanskrit, children will be able to stay connected with Sanskar, Sadvichar, Spirituality, Philosophy, Knowledge-Science etc. and will build a good society and progress the nation.

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