डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन


          भारत के तमिलनाडु में चेन्नई के तिरूतनी गाँव में 1888 को प्रकांड विद्वान और दार्शनिक डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति रहे है। सन् 1954 में इस महान दार्शनिक शिक्षाविद और लेखक को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने देश का सर्वोच्च अलंकरण सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजा। 17 अप्रैल 1975 को चेन्नई में इनका निधन हो गया

भारत में ऐसे हुई शिक्षक दिवस की शुरुआत

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जब भारत के राष्ट्रपति बने तो उनके कुछ छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाना चाहा। तब इन्होने जवाब दिया कि मेरा जन्मदिन मनाने की बजाय यदि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाए तो यह गर्व की बात होगी। तभी से उनके सम्मान में 5 सितंबर की तारीख शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है।

दूसरे देशों में शिक्षक दिवस

भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है, परन्तु विश्व के अन्य देशों में इसे मनाने कि तिथियां अलग-अलग हैं। यूनेस्‍को ने आधिकारिक रूप से 5 अक्‍टूबर को शिक्षक दिवस मनाने के लिए  चुना, एवं अब 100 से ज्‍यादा देशों में यह इसी दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन की खास बातें -

# डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन को सीखने का बहुत शौक था वे बचपन से ही क‍िताबों को पढ़ने के शौकीन थे

# राधाकृष्णन के पुरखे पहले 'सर्वपल्ली' नाम के गांव में रहते थे। वे चाहते थे क‍ि उनके गांव का नाम उनसे जुड़ा रहना चाहि‍ए, इसलिए उनके माता-प‍िता ने नाम के आगे 'सर्वपल्ली' लगाना शुरू किया।

# डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर को अपना आदर्श मानते थे।

# कई भारतीय विश्वविद्यालयों की तरह कोलंबो एवं लंदन विश्वविद्यालय ने भी अपनी-अपनी मानद उपाधियों से इन्हें सम्मानित किया।

# भारत की स्वतंत्रता के बाद भी डॉ. राधाकृष्णन ने अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे पेरिस में यूनेस्को नामक संस्था की कार्य समि‍ति के अध्यक्ष भी रहे। यह संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ का एक अंग है।

# सन् 1949 से सन् 1952 तक डॉ. राधाकृष्णन रूस की राजधानी मास्को में भारत के राजदूत पद पर रहे। भारत-रूस की मित्रता बढ़ाने में इनका योगदान रहा।

# राधाकृष्णन जब चीन के दौरे पर गए थे तो वहां के नेता माओ से मिले। मिलने के बाद उन्होंने माओ के गाल थपथपा दिए। लेकिन राधाकृष्णन ने यह कहकर सभी का दिल जीत लिया कि वह उनसे पहले स्टालिन और पोप के साथ ऐसा कर चुके हैं।

 # माओ और राधाकृष्णन साथ बैठकर भोजन कर रहे थे। खाते-खाते माओ ने  स्नेह दर्शाने के लिए चॉपस्टिक से अपनी प्लेट से मांसाहारी व्यंजन का एक टुकड़ा उठाकर राधाकृष्णन की प्लेट में रख दिया। हालांकि माओ को नहीं पता था कि राधाकृष्णन शाकाहारी हैं। माओ के इस स्नेह का राधाकृष्णन ने सम्मान किया। उन्होंने माओ को अहसास नहीं होने दिया कि उन्होंने कोई गलती की है।

# सन् 1952 में वे भारत के उपराष्ट्रपति बनाए गए।

# भारत रत्न के अलावा डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन को नाइट बैचलर, ऑर्डर ऑफ मेरिट और टेम्पलटन समेत कई सम्मान द‍िए गए

# 13 मई, 1962 को डॉ. राधाकृष्णन भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने। सन् 1967 तक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने देश की अमूल्य सेवा की।

# डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने घोषणा की कि सप्ताह में दो दिन कोई भी व्यक्ति उनसे बिना पूर्व अनुमति के मिल सकता है। इस तरह से उन्होंने राष्ट्रपति भवन को आम लोगों के लिए भी खोल दिया था।

# डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन अमेरिका के राष्ट्रपति भवन वाइट हाउस में हेलिकॉप्टर से अतिथि के रूप में पहुंचे वाले पहले राष्ट्रपति रहे है।

# विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए भी इन्होने हमेशा अपने विद्यार्थियों से संपर्क रखा एवं लोगों में राष्ट्रीय चेतना बढ़ायी।

# डॉ. राधाकृष्णन अपने राष्ट्र प्रेम के लिए विख्‍यात थे, फिर भी अंग्रेज सरकार ने इन्हें सर की उपाधि से सम्मानित किया।

# डॉ. राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक, शिक्षाविद और लेखक थे परन्तु वे जीवनभर अपने आपको शिक्षक ही मानते रहे। 

 # डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन ने 40 सालों तक शिक्षक के रूप में कार्य किया था

#राधाकृष्णन अपने छात्रों के बीच बहुत लोकप्रिय थे। एक बार तो उनके छात्रों ने उनके लिए फूलों से सजी एक बग्धी का प्रबंध किया और उसे खुद खींचकर रेलवे स्टेशन तक ले गए।

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