राष्ट्र का गौरव बोध कराते है संग्रहालय

 


संग्रहालय-

         संग्रहालय एक ऐसा संस्थान है जो समाज की सेवा और विकास के उद्देश्य से खोला जाता है और इसमें मानव और पर्यावरण सम्बन्धी विरासतों के संरक्षण के लिए उनका संग्रह, शोध, प्रचार या प्रदर्शन किया जाता है जिसका उपयोग शिक्षा, अध्ययन और मनोरंजन के लिए होता है। संग्रहालय द्वारा लोगों में जागरूकता फैलाना और उन्हें अपने इतिहास को जानने के प्रति जागरूक बनाना है। संग्रहालयों में इतिहास की चीजों को करीब से देखकर बौद्धिक मनोरंजन होता है। भारत में भी कई संग्रहालय हैं जिनमें भारत के इतिहास से लेकर भारतीय कृषि के इतिहास को जानने को मौका मिलता है।

कुछ महत्वपूर्ण संग्रहालय-

1. राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली - 

भारत के इस राष्ट्रीय संग्रहालय को सन 1949 में दिल्ली में जनपथ के करीब बनवाया गया था। इसमें लगभग 2,00,000 भारतीय और विदेशी मूल के संग्रह हैं, जो भारत के पिछले 5,000 वर्षों के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर पर प्रकाश डालते हैं। यहां पर पुराने समय की रेलगाड़ियों के लग़्जरी कोचों के बारे में जानने को मिलता है जिनका इस्तेमाल भारत के महान राजाओं द्वारा होता था। इसके अतिरिक्त इस संग्रहालय में राजा-महाराजाओं के गहने, जेवरात, चित्र इत्यादि भी हैं। महात्मा बुद्ध की प्रतिमाएं और बुद्ध स्तूप भी इस संग्राहलय में स्थित है।

2. भारतीय संग्रहालय, कोलकाता- 

इस संग्रहालय की स्थापना कोलकाता पश्चिम बंगाल एशियाटिक सोसाइटी में की गई थी, जो देश में 2 फरवरी 1814 को प्रारंभिक रूप से की गई थी। भारतीय संग्रहालय, जिसे पहले एशियाटिक संग्रहालय के नाम से और तदुपरांत इंपीरियल म्‍यूजियम के रूप में जाना था, मानव सभ्‍यता के एक प्रतीक के रूप में देश में अपने प्रकार के सबसे वृहद संस्‍थान के रूप में विकसित हुआ।1 अप्रैल, 1878 को यह संग्रहालय जनता के लिए खोल दिया गया। भारतीय संग्रहालय छह प्रमुख वर्गों में संरचित है। कला, पुरातत्व, नृविज्ञान, प्राणीशास्त्र, भूविज्ञान, और वनस्पति विज्ञान खंड हैं। इस संग्रहालय का उद्देश्‍य, राष्‍ट्रीय महत्‍व की सभी पुरावस्‍तुओं का अर्जन, संरक्षण और अध्‍ययन करने के साथ-साथ इनके माध्‍यम से ज्ञान का प्रसार करना तथा मनोरंजन करना है।

3. कैलिको संग्रहालय, अहमदाबाद-

 कैलिको संग्रहालय को सन 1949 में शुरू किया गया था। इस संग्रहालय में कपड़ों के कलेक्शन हैं। यह कपड़े व वेशभूषा मुगलकालीन समय से लेकर आधुनिक भारत तक की हैं। इस संग्रहालय में विभिन्‍न डिजाइन, रंग और पैटर्न के वस्‍त्र देखने को मिलते है जो भारत के सभी स्थानों से एकत्र होते है, इनका फ्रैब्रिक, इनके बनाने और बुनने का तरीका आदि अलग होता है। इस संग्रहालय को श्री गौतम साराभाई और उनकी बहन गीरा साराभाई ने कैलिको हाउस में स्‍थापित किया गया था, बाद में इसे वर्तमान परिसर शाहीबाग में 1983 में स्‍थानांतरित कर दिया गया।

4. राष्‍ट्रीय सांस्‍कृतिक सम्‍पदा संरक्षण अनुसंधान प्रयोगशाला, लखनऊ

राष्‍ट्रीय सांस्‍कृतिक सम्‍पदा संरक्षण अनुसंधान प्रयोगशाला लखनऊ, संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार का एक अधीनस्‍थ कार्यालय है इसकी स्‍थापना वर्ष 1976 में की गई थी एवं वर्ष 1985 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा एक वैज्ञानिक संस्‍थान के रूप में इसे मान्‍यता मिली। इस प्रयोगशाला का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रशिक्षण द्वारा संरक्षण क्षमताओं का विकास करना है। एन.आर.एल.सी. अपने लक्ष्यों की प्राप्ति वैज्ञानिक शोध, शिक्षण एवं प्रशिक्षण, क्षेत्र-परियोजनाओं,  पारस्परिक सहयोग तथा शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं, प्रकाशनों एवं जन-प्रतिभागिता के माध्यम से करती है। यह पर्याप्त आधारभूत संरचना तथा सामग्रियों के विश्लेषण, परीक्षण एवं संपोषणीय संरक्षण सम्बन्धी हल विकसित करने के लिये प्रयोगशालाओं से भली-भाँति सुसज्जित है।

5. नैपियर संग्रहालय, तिरुअनंतपुरम

19वीं शताब्दी में बना नैपियर संग्रहालय भारत के पुराने संग्रहालयों में से एक है। यह केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में स्थित है। इस संग्रहालय का नाम मद्रास के गवर्नर लॉर्ड चार्ल्स नेपियर के नाम पर रखा गया है। ऐतिहासिक मूर्तियाँ, आभूषण, हाथी दाँत की कलात्मक वस्तुएँ तथा 250 वर्ष पुरानी नक़्क़ाशी की कला देखते ही बनती है यहां कथकली कठपुतली मॉडल, संगीत वाद्ययंत्र, कांस्य के बने देवी और देवताओं की मूर्ति और भी बहुत कुछ यहां पर प्रदर्शित किया गया है। हरे-भरे विशाल परिसर में वनस्पति उद्यान एवं चिड़ियाघर भी है। तिरुवनंतपुरम का यह प्राकृतिक संग्रहालय एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।






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