जीरो में छिपा शुन्य खोजे

 


            जीरो या शुन्य दोनों सामान्यतः एक ही हैं। किन्तु एक अंग्रेजी तो दुसरा भारतीय है। आज हर कोई जीरो बन बैठा है। फिर वह अमीर हो या गरीब, बलवान हो या कमजोर, खुश हो या दुःखी। इसका कारण है अमीर को गरीब होने का डर, गरीब को अमीर न बन पाने का दुःख, बलवान को नीत नई चुनौती से निपटने कि चिंता, कमजोर को हार का शोक, खुश को खुशी खोने का भय। इस तरह हर स्थिति में हर व्यक्ति एक चक्रव्यूह में फंसा है। यही चक्रव्यूह जीरो है। 

             धार्मिक ग्रन्थ, संत, साहित्य एवं महात्मा लोगों में सकारात्मकता, एकता व समानता के बीज बो रहे हैं। जिससे कि इस चक्रव्यूह को सकारात्मक दृष्टि से भेदा जा सके। यह सकारात्मकता ही जीरो से शुन्य कि ओर अंकुरित होने वाला पौधा है। जो कोई भी सकारात्मक दृष्टि अपनाता है उसका मान गुणक में ठीक वैसे ही बढता है जैसे किसी संख्या के पीछे शुन्य लगाने से उसका मान बढ़ता ही चला जाता है। 

             हमारे मन में इसका बोध होना चाहिए कि जीरो भले ही कुछ नहीं है किन्तु शुन्य कुछ नहीं में ही सब कुछ है, बस हमें इसका उपयोग सही से करना है। हर स्थिति में सकारात्मक बने रहना है। इससे निश्चित ही हमारा मान बढ़ने लगेगा और हम सदैव सकारात्मक व खुशहाल रह सकेंगे। 




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