बिना प्रदूषण करें, ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति की संभावना




              अमेरिकी प्रौद्योगिकी संस्थान एमआइटी ने निजी स्टार्ट-अप कॉमनवेल्थ फ्यूजन सिस्टम्स के सहयोग से स्पार्क नाम का एक नाभिकीय संलयन रिएक्टर जून 2021 से बनाने की घोषणा की है, जिसमें 2035 तक बिजली उत्पादन शुरू किया जा सकता है. एमआइटी अपने इस न्यूक्लियर डेवलपमेंट प्रोग्राम के माध्यम से पृथ्वी पर नाभिकीय संलयन प्रक्रिया द्वारा सूर्य जैसा एक ऊर्जा स्नोत बनाने की कोशिश करने वाला है. इसकी सबसे विशेष बात यह है की इसमें कृत्रिम संलयन करवाने के लिए हाइड्रोजन के दो भारी समस्थानिकों ड्यूटेरियम और टिटियम को ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाएगा. जो की धरती पर पर्याप्त मात्रा में है. इसलिए नाभिकीय संलयन में ईंधन की कभी कमी नहीं होगी. इससे उत्पन्न ऊर्जा से टर्बाइन चलाया जाएगा व विद्युत उत्पन्न की जा सकेगी. यदि यह पूरी तरह से सफल होता है तो इससे हमें हमारे सीमित प्राकृतिक संसाधन जैसे कोयला और पेट्रोलियम के समाप्त होने की चिंता से मुक्ति मिल जाएगा. इस तरह से नाभिकीय संलयन करवाने से पर्यावरण और मानव को बिना किसी क्षति के हम हमारी सभी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो पाएंगे.

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