मां दुर्गा

 

Photo- https://images.app.goo.gl/vKyHwfM6fbjEaJkA6


आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से अथार्थ आज से नवरात्र प्रारम्भ हो रही है. इन नौ दिनों में माँ के नौ अलग-अलग रूप होते है. 

प्रथम स्वरूप शैलपुत्री 
द्वितीय स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी
तृतीय स्वरुप चंद्रघंटा
चतुर्थ स्वरूप कुष्मांडा
पंचम स्वरूप स्कंदमाता
छटा स्वरूप कात्यायनी
सातवा स्वरूप कालरात्रि
आठवां स्वरूप महागौरी
नौवां स्वरूप सिद्धिदात्री

           प्रचलित कथा के अनुसार मां दुर्गा की उत्पत्ति असुरों के अत्याचारों का सर्वनाश करने के लिए हुई है. प्राचीन समय में महिषासुर नामक असुर से तंग आकर देवताओं को जब पता चला की कि दैत्यराज को यह वर प्राप्त है कि उसकी मृत्यु किसी कुंवारी कन्या के हाथ से होगी, तब देवताओं ने अपनी सम्मिलित शक्ति से देवी को प्रकट किया. विभिन्न देवताओं की देह से निकले हुए तेज से ही देवी के विभिन्न अंग बने. भगवान शंकर के तेज से देवी का मुख प्रकट हुआ, यमराज के तेज से मस्तक के केश, विष्णु के तेज से भुजाएं, चंद्रमा के तेज से स्तन, इंद्र के तेज से कमर, वरुण के तेज से जंघा, पृथ्वी के तेज से नितंब, ब्रह्मा के तेज से चरण, सूर्य के तेज से दोनों पैरों की ऊंगलियां तथा अन्य देवताओं के तेज से देवी के भिन्न-भिन्न अंग बने है. शिवजी ने फिर इस महाशक्ति को त्रिशूल दिया, लक्ष्मीजी ने कमल का फूल, अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, विष्णु ने चक्र, शेषनागजी ने मणियों से सुशोभित नाग, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, हनुमानजी ने गदा, वरुण ने दिव्य शंख,  इंद्र ने वज्र, भगवान राम ने धनुष, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने सवारी के लिए सिंह प्रदान किया. देवताओं से मिली इन शक्तियां से दुर्गाजी ने महिषासुर का वध किया. इसी वजह से ही देवी को महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है.

Comments

Post a Comment

hey, don't forget to follow me.
feel free to give suggestions and ideas for my next article.