कुपोषण से निपटने के लिए योजनाओं का सही क्रियान्वयन जरुरी

Photo- https://images.app.goo.gl/rnusaKXk58cysHhm9


      हाल ही में ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने 107 देशों की रैंकिंग में भारत को 94वें नंबर पर रखा है. इस सूचि में बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार की रैंक भारत से ऊपर है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत में हर साल कुपोषण से मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा बतायी है. गरीब इलाकों में आज भी बच्चे भुखमरी के कारण अपनी जान गंवा रहे है. इसके लिए सर्वप्रथम आवश्यक है की सभी को संतुलित आहार मिले. कुपोषण से बचने के लिए सिर्फ पर्याप्त भोजन की ही नहीं, बल्कि सुरक्षित प्रसव की सुविधा, प्रतिरक्षण यानी टीकाकरण, स्वच्छ पेयजल, सार्वजनिक स्वच्छता और सफाई आदि की भी जरूरत है. एकीकृत बाल विकास योजना  के माध्यम से पूरक पोषाहार उपलब्ध कराने की योजना चल भी रही है, टेक होम राशन के तहत बच्चों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं को पूरक पोषाहार दिया जाता है. लेकिन टीएचआर और पूरक पोषाहार का वितरण प्रभावी रूप सफलता प्राप्त नहीं कर सका है. इसके लिए हमें अनेक तरीकों को अपना होगा जैसे देश की विकास दर को बढ़ाना, कृषि में सुधार लाना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार लाना और कुपोषण राहत के लिए बड़ा बजट तैयार रखना होगा तभी कुपोषण की समस्या से बचा जा सकेगा. 

Comments

Post a Comment

hey, don't forget to follow me.
feel free to give suggestions and ideas for my next article.