महिलाओं/बालिकाओं के लिए सुरक्षित शहर,सार्वजनिक स्थल,परिवहन एवं कार्यस्थल

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सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं को पूर्ण सुरक्षा

 

आज की महिलाएं शिक्षा, प्रशिक्षण, रोजगार आदि के लिए अपने घर से बाहर निकलती हैं तो उनका सबसे पहले सामना सार्वजनिक परिहन से होता हैं क्योंकि बिना परिवहन के अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचना संभव नहीं हैं। सार्वजनिक परिवहन में इन्हें मानसिक, शारीरिक और यौन उत्पीड़न, स्त्री द्वेष और लिंग असमानता जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं।

विडम्बना हैं की आज का हमारा शिक्षित समाज भी जेंडर समानता की दिशा में कुछ विशेष योगदान नहीं दे पाया हैं, और महिलाएं आज भी सार्वजनिक परिहन में पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं हैं।

सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की पूर्ण सुरक्षा हेतु निन्मलिखित कार्य करने की आवश्यकता हैं -

* हर सार्वजनिक परिवहन में कम से कम 40% सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित होनी चाहिए और उन सीटों पर किसी भी परिस्थिति में पुरुषों को नहीं बैठने दिया जाना चाहिए। फिर चाहे वह सीटे खाली ही क्यों न रहे।

* महिलाओं के लिए पिंक परिवहन की शुरुवात की जानि चाहिए जिसमें चालक और परिचालक के साथ ही अन्य स्टाफ भी महिला हो जिससे की जेंडर असमानता तो दूर होगी ही साथ ही सफर करने वाली महिलाएं भी पूर्ण सुरक्षित होंगी।

* हर सार्वजनिक परिवहन में CCTV कैमरा और जीपीएस सिस्टम लगा होना अनिवार्य होना चाहिए।

* सार्वजनिक परिवहनों के स्टॉप पर पिंक बस स्टॉप भी होना चाहिए जिसमें सिर्फ महिलाएं ही बस की प्रतीक्षा कर सके।

* सार्वजनिक परिवहन में आपातकालीन नंबर के साथ महिला हेल्प लाइन नंबर भी अवश्य होने चाहिए जिस पर सहायता मांगने पर उन्हें तुरंत मदद मिल सके।

* सार्वजनिक परिवहन में किसी भी प्रकार का नशा करने एवं नशे किए हुए व्यक्ति को बैठने की अनुमति नहीं होना चाहिए।


समस्त शिक्षा संस्थानों में लड़कियों व महिलाओं के लिए यौन हिंसा व हिंसा मुक्त वातावरण बनाना

शिक्षा संस्थानों में लड़कियों व महिलाओं पर यौन हिंसा और हिंसा मुक्त वातावण बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए -

1. शिक्षा संस्थानों पर कम से कम 50% महिला शिक्षक व अन्य स्टाफ होना अनिवार्य  हो।

2. शिक्षा संस्थानों में CCTV कैमरा अनिवार्य रूप से लगे हो।

3. हिंसा और यौन हिंसा को रोकने के लिए पुरुष सुरक्षाकर्मी के साथ ही महिला सुरक्षाकर्मी भी शिक्षा संस्थानों में अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

4. शिक्षा संस्थानों के आस पास किसी भी प्रकार के नशे करने की दुकान न हो।

5. शिक्षा संस्थानों में लैंगिक मुद्दों जैसे विषय पर अनिवार्य रूप से सामान्य शिक्षा दी जाये जिससे की लैंगिक असमानता मिटे व यौन हिंसा रुके।

6. शिक्षा संस्थान प्रमुख अपने संस्थान में हो रही गतिविधियों पर सक्रिय रहे व यौन हिंसा या हिंसा जैसे मामलों को गंभीरता से लेकर उनका समाधान करे।


सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं को पूर्ण सुरक्षा

 

आज की महिलाएं शिक्षा, प्रशिक्षण, रोजगार आदि के लिए अपने घर से बाहर निकलती हैं तो उनका सबसे पहले सामना सार्वजनिक परिहन से होता हैं क्योंकि बिना परिवहन के अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचना संभव नहीं हैं। सार्वजनिक परिवहन में इन्हें मानसिक, शारीरिक और यौन उत्पीड़न, स्त्री द्वेष और लिंग असमानता जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं।

विडम्बना हैं की आज का हमारा शिक्षित समाज भी जेंडर समानता की दिशा में कुछ विशेष योगदान नहीं दे पाया हैं, और महिलाएं आज भी सार्वजनिक परिहन में पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं हैं।

सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की पूर्ण सुरक्षा हेतु निन्मलिखित कार्य करने की आवश्यकता हैं -

* हर सार्वजनिक परिवहन में कम से कम 40% सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित होनी चाहिए और उन सीटों पर किसी भी परिस्थिति में पुरुषों को नहीं बैठने दिया जाना चाहिए। फिर चाहे वह सीटे खाली ही क्यों न रहे।

* महिलाओं के लिए पिंक परिवहन की शुरुवात की जानि चाहिए जिसमें चालक और परिचालक के साथ ही अन्य स्टाफ भी महिला हो जिससे की जेंडर असमानता तो दूर होगी ही साथ ही सफर करने वाली महिलाएं भी पूर्ण सुरक्षित होंगी।

* हर सार्वजनिक परिवहन में CCTV कैमरा और जीपीएस सिस्टम लगा होना अनिवार्य होना चाहिए।

* सार्वजनिक परिवहनों के स्टॉप पर पिंक बस स्टॉप भी होना चाहिए जिसमें सिर्फ महिलाएं ही बस की प्रतीक्षा कर सके।

* सार्वजनिक परिवहन में आपातकालीन नंबर के साथ महिला हेल्प लाइन नंबर भी अवश्य होने चाहिए जिस पर सहायता मांगने पर उन्हें तुरंत मदद मिल सके।

* सार्वजनिक परिवहन में किसी भी प्रकार का नशा करने एवं नशे किए हुए व्यक्ति को बैठने की अनुमति नहीं होना चाहिए।

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