बीएस-6 इंजन
बीएस (BS) क्या है ?
भारत सरकार मोटर वीइकल्स से निकलने वाले प्रदूषकों को नियंत्रित करने के लिए मानक तय करती है। इसे ही बीएस, अथार्थ भारत स्टेज कहा जाता है। ये मानक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत निर्धारित किए जाते हैं।
मोटर वीइकल के प्रमुख प्रदूषक-
पेट्रोल-डीजल इंजन मुख्य रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), हाइड्रोकार्बन (HC) और नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOx) को निकालते हैं।
बीएस6 एमिशन लिमिट -
BS6 एमिशन नॉर्म्स सख्त हैं। इसमें NOx का लेवल पेट्रोल इंजन के लिए 25 पर्सेंट और डीजल इंजन के लिए 68 पर्सेंट कम है। इसके अलावा डीजल इंजन के HC + NOx की लिमिट 43 पर्सेंट और पीएम लेवल की लिमिट 82 पर्सेंट कम की गई है। इस टारगेट को पूरा करने के लिए बीएस6 कम्प्लायंट इंजन में मॉडर्न टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों जरूरत हुई बीएस-6 की-
बीएस-4 इंजन वाली गाड़ियों से निकलने वाला धुआं आंख और नाक में जलन, सिरदर्द, फेंफड़ों में इन्फेक्शन जैसी बिमारियों के लिए जिम्मेदार है। वहीं बीएस-6 ईधन से सल्फर की मात्रा बीएस-4 से 5 गुना तक हैं। बीएस-6 वाहनों में एडवांस एमीशन कंट्रोल सिस्टम फिट है। बीएस-6 सेडीजल वाहनों से 68 प्रतिशत और पेट्रोल कारों से 25 प्रतिशत तक नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। बीएस-6 गाड़ियों में हवा में प्रदूषण के कण 0.05 से घटकर 0.01 रह जाएंगे। जिससे वातावरण साफ़ रहेगा। बीएस-6 इंजन वाली गाड़ियों से होने पर प्रदूषण लगभग 75 फीसदी तक कम होगा। इसके साथ ही बीएस-6 इंजन से गाड़ियों की माइलेज भी बड़ा।
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