इस पहले सफल आयोजन में यूजर्स द्वारा प्राप्त रचनाओं की बड़ी संख्या को देखते हुए आगामी आयोजन का निर्णय लिया गया है. आगामी आयोजन विषय- 'मेरी विशेष दीपावली' पर होगा. जिसमें सभी आयु वर्ग से दीपावली संबंधी सभी तरह के विशेष कार्यों को सम्मिलित किया जाएगा. रचनाएं व्हाट्सप्प नं. 96856 94262 पर प्रेषित करे. रचनाएं प्रेषित करने की अंतिम तिथि- 21-11-2020. सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का प्रकाशन वेबसाइट पर दिनांक- 30-11-2020 को किया जाएगा .
बालिकाओं/महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
लॉकडाउन अवधि में कई लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा या रोजगार से होने वाली आय के संकट का सामना करना पड़ा. ऐसे कठिन समय में घरेलु महिलाओं पर रोजगार/स्वरोजगार की जिम्मेदारी आयी. चूंकि जल्द ही बिना प्रशिक्षण या कार्य कुशलता के कोई भी रोजगार या व्यवसाय महिलाओं के लिए शुरू करना संभव नहीं है. इसलिए मैंने लॉकडाउन अवधि में महिलाओं को निःशुल्क बेकरी प्रशिक्षण दिया. जिससे की वे आत्मनिर्भर बन सके. कुछ केक मेकिंग एवं हेल्दी फूड मेकिंग के प्रशिक्षण भी नाम मात्र के शुल्क से उपलब्ध कराए. जिसके परिणाम स्वरूप कुछ बालिकाओं एवं महिलाओं ने अपने स्वयं का स्वरोजगार भी प्रारंभ कर लिया है. इसके साथ ही लोगों में जागरूकता फैलाने और जंक फूड को हेल्दी फूड में कन्वर्ट करने के टिप्स देकर सभी को हेल्दी भोजन उपलब्ध कराने का कार्य कर रही हूं. जब मेरे काम से किसी को खुशी मिले तो मेरी मेहनत और अपने काम के प्रति मेरी लगन दोनों सार्थक हो जाती हैं ऐसा ही श्रेष्ट अनुभव हमेशा मिलता रहे इसके लिए निरंतर महिलाओं को सस्ती और कम लागत में प्रशिक्षण एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए तत्पर रहती हूँ.
-डाइटीशियन, प्रिंसी जैन दानी, जैन होम बेकरी, दमोह, मप्र
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लॉकडाउन में भी तनाव मुक्त व अपने काम से खुश रही
लॉकडाउन के दौरान घर पर रहकर सोशल मीडिया के माध्यम से प्रतिदिन कोरोना से बचाव और जागरुकता की अपील की है. छात्राओं और एनसीसी कैडेट्स को आरोग्य सेतु ऐप और आयुष कवच एप डाउनलोड करने और अपने आसपास के लोगों को भी डाउनलोड करवाने के लिए प्रेरित किया. इसके अलावा एम.ए. की छात्राओं की ऑनलाइन कक्षाएं लीं और विविध विषयों पर आयोजित ऑनलाइन 50 से अधिक वेबिनार में सहभागिता की है. साथ ही कई वेबिनार आयोजित भी किए. अपने बच्चों की पढ़ाई में सहयोग किया, उनके साथ अच्छा समय बिताया. थोड़ा समय रोज अपनी किचेन गार्डेन को देती रही हूं. चिड़ियों के लिए प्रतिदिन दाना-पानी रखती रही हूं. गली के कुत्तों के लिए भी खाने-पानी की व्यवस्था करती रही हूँ. इसके अतिरिक्त और भी बहुत काम होते हैं घर में जिससे लॉकडाउन का तनाव कभी नहीं हुआ.
-लैफ्टिनेंट (डा.) लता कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, पीजी कॉलेज, मेरठ, उप्र
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अच्छे व बुरे पहलु को ख़ुशी से व्यतीत किया
लॉकडाउन में पहली बार अपने आप के लिए इतना समय मिला. इस अवधि में स्वयं को जानने का मौका भी मिला, अन्यथा इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपने आप को भूल ही गए थे. मैने अपनी रचनात्मकता का प्रयोग करते हुए कई सजावटी वस्तुएं बनाई. घर पर रखी अनुपयोगी वस्तुओं से नई उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया. विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाना सीखे और घर के सभी लोगो को खिलाए. बच्चो को ट्यूशन दी साथ ही मुझे इस लॉक डाउन की अवधि में एस. एस. सी. की परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिला. यह अवधि हम सब के लिए भयावह एवम् दुखद जैसी थी ,किन्तु कहते है ना कि एक सिक्के के दो पहलू होते है, कुछ अच्छा तो कुछ बुरा ठीक इसी प्रकार लॉक डाउन की अवधि थी, जिसे हम सब ने अपने धैर्य और साहस से अच्छे व बुरे पहलु को ख़ुशी से व्यतीत किया है.
-निकिता चौहान, बिचौली मर्दाना, इंदौर, मप्र
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अपने अंदर की छुपी ताकत को पहचाना
कोविड-19 महामारी के कारण कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा किन्तु इसने जिंदगी को एक नए सिरे से जीने मौका भी दिया है. इसी के कारण हम अपनों के साथ समय व्यतीत कर सके जो अमूल्य था. हमें खुद की रुचियों को पहचाने का अवसर भी मिला. इसी के कारण हमें जीवन की खोयी हुई खुशियों को पाने का मौका मिला. हमने एक बार फिर अपने बचपन को जीया है. सोशल मिडिया और वेबसाइट्स पर उपलब्ध साहित्यिक ज्ञान बेहतर है. यूटुब से बहुत सी क्रिएटिव चीज़ें सीखी और सब घरवालों और पड़ोसियों को भी सिखाई. जैसे होम डेकोर हो या फिर वेस्ट आईटम से कुछ यूनिक करना वेस्ट चावल और आटे की थैलियों से सुन्दर बेग बनाना और फिर उन्हें मार्केट में बेचना सब सिखा. साथ ही घर में फेंक दिए जाने वाले वेडिंग कार्ड से फ्लावर पॉट बनाया जा सकता है. यह सब मैंने लॉक डाउन में सीखा है जबकि इससे पहले यह सब मुझे नहीं पता था. सबसे महत्पूर्ण बात मैंने सीखी है की अगर सब का साथ हो तो मुश्किल से मुश्किल वक़्त भी आसानी से गुजर जाता है. कुल मिलाकर मुझे ये लॉक डाउन का समय नहीं मिलता तो शायद ही मुझे पता चलता कि मुझ में क्या क्या खूबी है? और मैं क्या-क्या क्रिएटिव कर सकती हूँ. इस लॉक डाउन ने मुझे तो मेरी ताकतो से मिलवा दिया. आशा है आप सब भी लॉकडाउन में अपने अंदर की छुपी ताकत को पहचान सके होंगे.
- राजकुमारी रघुवंशी, पिपलियाहना, , इंदौर, मप्र
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बुरे समय में भी नया कर आगे बढ़ना सीखा गया लॉकडाउन
जीवन में पहली बार ऐसी महामारी देखी जिसके कारण सब को अपने घरों में ही कैद रहना पढ़ा. मैंने इस समय का उपयोग अपनी रचनात्मकता को और अधिक बेहतर बनाने के लिए किया . मैंने इस समय में कई कविताओं का सृजन किया. साथ ही महान विभूतियो की आत्मकथाओं, जीवनी व उनकी रचनाओं को पढ़ा. मेरे आदर्श स्वामी विवेकानद और ए पी जे अब्दुल कलाम है. मैने चेतन भगत के एक उपन्यास हॉफ गर्लफ्रेंड को भी पढ़ा. मेरा पेशा एक शिक्षक का रहा है तो शुरुआत के कुछ समय में मैने छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षण का कार्य भी करवाया. ऑनलाइन पढ़ाना एक अलग अदभुत अनुभव रहा इसमें कभी नेटवर्क की समस्या तो कभी कई अन्य तकनीकी समस्याओं का सामना करना पढ़ा. लॉक डाउन में कई पुराने मित्रो से ऑनलाइन बात करने का मज़ा ही कुछ और रहा. कई वर्षो से इधर उधर धूल खा रखी पुस्तकों को पढ़ा एवं व्यवस्थित कर रखा. निष्कर्षतः लॉक डाउन का समय भयावय तो था परंतु हमें बहुत कुछ सिखाकर भी गया. ईश्वर से प्रार्थना है की इस महामारी का अंत जल्द हो जाए और आगामी वर्षो में हमें इस तरह की महामारी का सामना ना करना पड़े.
-शैलेन्द्र सिंह चौहान, (रिलाइंस फाउंडेशन), मूसाखेड़ी, इंदौर, मप्र
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कोरोना से बढ़ा रोजी रोटी का संकट
मैं गुडगाव की एक कम्पनी मै कार्य करता था. मै वही पर किराये के एक मकान मै रहता था . मेरी पत्नी दो बच्चे और मेरे बूढ़े माँ बाप गाव मैं ही रहते है. अचानक से कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो गया. मेरा काम भी बंद हो गया. इसलिए आर्थिक तंगी से झूझना पड़ा. इसलिए घर जाने का निर्णय लिया और रात को ही पैदल घर के लिए निकल पडा. रास्ते मै हजारो लोग मेरी तरह भूखे प्यासे चल रहे थे. उनको देख कर आँखों से आंसू आ रहे थे. करीब 5 दिन पैदल चलकर आखिर अपने गाव पहुच ही गया. बहुत थक चूका था बेठने तक की हिम्मत नहीं थी बस थोड़ी ख़ुशी थी की कम से कम अपने घर तो पंहुचा. चार पांच दिन मेने घर मै आराम किया. घर में राशन तक की समस्या थी. फिर मनरेगा में काम पर गया कभी गड्डे खोदने का काम नहीं किया था पर अभी मजबूरी थी. करीब 3 घंटे फावड़ा चलाया. बहुत थक गया मुझसे चला नहीं जा रहा था. शाम के समय नहर की तरफ गया रास्ते मै पता नहीं क्यों मन घबराने लगा पुरे शरीर पर पसीना आ गए ज्यादा घबराहट होने लगी तो डॉक्टर के पास गया. डॉक्टर ने बताया हाई ब्लड प्रेशर है ज्यादा चिंता करने से हुआ है. कुछ दवाईया दी और चिंता ना करने को कहा. चिंता केसे ना करू मेरे बच्चे भूखे है. और कोई रास्ता भी तो दिखाई नहीं दे रहा. ऐसा सिर्फ मै ही अकेला नहीं हूँ बल्कि मेरे गाव मै कई परिवार है.
-राजकुमार बोहत, गांव नारायणा, पानीपत, हरियाणा
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कोरोना जागरूकता गीत
हाय कोरोना हाय कोरोना
बीस सेकंड तक हाथ सदा साबुन से धोना
साथ निभाना साथ निभाना
भूल कर भी किसी से ना हाथ मिलाना
मास्क लगाना मास्क लगाना
बिना लगाए भइया इसको कहीं ना जाना
दो गज की दूरी का जरूरी है होना
इससे कभी ना किसी को होगा कोरोना
हाथों में सदा ही लगाना तुम सैनिटाइजर
हो चाहे काइटर चाहे हो राइटर
संदेश पहुंचाना यह जन - जन तक करके एकाएक
कोरोना से बचने को सुझाता है अभिषेक
-अभिषेक शुक्ल, रायबरेली रोड, लखनऊ, उप्र
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प्रकृति के महत्व को जाना
महामारी का यह समय बड़ी आपदा बन कर आया. मार्च से अब अक्टूबर की समाप्ति ,होली से दीवाली तक का यह संकट काल अनेक चुनौतियों से भरा रहा. लोगों का बिना काम के घर से बाहर जाना बंद हुआ. जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण कम हुआ. हवा में स्वच्छता आई एवं तालाब और नदियों का जल स्वच्छ हुआ. साथ ही लोगों का घरों में रहने से सड़क हादसे कम कम हुए. अधिकांश कार्य ऑनलाइन होने लगे. जिससे घर बैठे कई काम आसानी से हो गए. वर्षों से बंद रखीं पेटियों के कपाट खुले जिनसे पुरानी यादें ताजा हो गई. विवाह व अन्य कार्यों के खर्चों में कटौती हुई. मानवीय जीवन मूल्य बदल गये. हमारे सोचने का ढंग और तौर तरीका बदल गया. बच्चों के स्कूल और शिक्षा पर उसका असर पड़ा. स्कूल बंद हो गये, फैक्टरी कारखाने बंद होने से उत्पादन पर असर पड़ा. अब जो भी जैसा है पर्याप्त है और इस प्राप्ति के साथ ही हमें जीना है. आओ एक बार फिर प्रकृति का दोहन करने के स्थान पर हम उसे संजाये संवारे उसके संरक्षण में रहकर सुरक्षित रहे.
-उषा सक्सेना, भोपाल, मप्र
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वेदांत अकादमी मनावर, मध्य प्रदेश की कक्षा-7 की स्टूडेंट जिया गोयल ने लॉकडाउन का सदुपयोग करते हुए पेंटिंग्स बनाना सीखा. साथ ही घर के कामों में अपनी मम्मी की सहयता भी की. जिया ने स्वच्छता पर बनाई अपनी पेंटिंग हमें भेजी है. जिसके प्रकाशन पर जिया को बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं...
जिया गोयल घरेलु स्वच्छता पर पेंटिंग
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इंदौर, मध्य प्रदेश से कक्षा-2 की स्टूडेंट्स महीन जैन एवं मोक्षा जैन ने लॉकडाउन अवधि में घर पर रहकर समय का सदुपयोग करते हुए रचनात्मक कार्य किया है. नन्हीं बालिकाओं के इस सराहनीय कार्य को प्रकाशित करने के साथ ही इन्हें सुन्दर भविष्य के लिए शुभकामनाएं.....
मोक्षा जैन महीन जैन
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सेंट आर्नॉर्डस को एड स्कूल, इंदौर, मध्य प्रदेश के कक्षा-5 के स्टूडेंट कृष्णा धनगर ने लॉकडाउन अवधि में घर पर रहते हुए पेंटिंग्स बनाना सीखा. इसके अतिरिक्त कृष्णा ने ऑनलाइन अध्ययन किया. कृष्णा द्वारा बनाई पेंटिंग श्रेष्ट रचनाओं में चयनित होने पर प्रकशित की जा रही है....
कृष्णा धनगर
Very good
ReplyDeleteThank U.. 💐🙏
Deleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeletethank u....
Deleteआपका यह प्रयोग/ प्रयास बहुत प्रशंसनीय है। साधुवाद!
ReplyDeleteडाॅ0 गीता गुप्त
भोपाल
धन्यवाद.. आदरणीय मैडम.. 💐🙏
Deletevery nice...
ReplyDeleteThank You... 💐
DeleteVery good
ReplyDeleteThank You..
DeleteVery Nice..
ReplyDeleteThank You
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