खुले बोरवेल को बंद करने से ही रुकेंगे हादसे

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हाल ही में मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के सैतपुरा गांव में बोरवेल में गिरा 4 साल का प्रहलाद जिंदगी की जंग हार गया. इससे पहले भी कई बार बच्चों की बोरवेल में गिरने की घटनाएं हुई है. क्योंकि हम इनके प्रति लापरवाह है. कई जगहों पर खराब ट्यूबवेल उखाड़कर दूसरे स्थान पर स्थनांतरित कर दिया जाता है लेकिन ट्यूबवेल उखाड़ने के बाद भी बोरवेल को कंक्रीट से भरकर समतल करने के बजाय किसी बोरी या कट्टे से ढ़ककर खुला छोड़ दिया जाता है और यही बोरवेल बार-बार ऐसे हादसों का कारण बनते हैं. गांवों में बोरवेल की खुदाई सरपंच तथा कृषि विभाग के अधिकारियों की निगरानी में करानी अनिवार्य है जबकि शहरों में यह कार्य ग्राउंडवाटर डिपार्टमेंट, स्वास्थ्य विभाग तथा नगर निगम इंजीनियर की देखरेख में होना जरूरी है, इसके अलावा बोरवेल खोदने वाली एजेंसी का रजिस्ट्रेशन होना भी अनिवार्य है. यदि इन नियमों के अंतर्गत काम किया जाए तो ऐसी घटनाएं नहीं होगी. इसके लिए जरुरी है की ऐसे सभी मामलों में त्वरित न्याय प्रक्रिया के जरिये दोषियों को कड़ी सजा मिले, तभी लोग खुले बोरवेल बंद करने को लेकर सक्रिय होंगे अन्यथा बोरवेल इसी तरह से मासूमों की जिंदगी छीनते रहेंगे. 

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