दीपावली - शैलेन्द्र सिंह चौहान, इंदौर, मप्र


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दीपावली रोशनी का त्यौहार हैं, यह भारत के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है. यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों प्रकार से बहुत ही महत्त्व है. इसे दीपोत्सव भी कहा जाता  हैं. दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है.

दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मानाया जाता है. पाँच दिन लंबा चलने वाला यह पर्व धनतेरस से शुरू होता है, उसके बाद छोटी दीपावली/ नरक चौदस, फिर दीपावली, पड़वा/ अन्नकूट/ गोवर्धन पूजा, और फिर आता है भाई दूज का त्यौहार.

इस दिन ऐसा माना जाता है कि अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास को पूरा करके वापस  लौटे थे. अयोध्या के वासियों ने अपने प्रिय राजा के आगमन से खुश होकर स्वागत में  घी के दीपक जलाए. 

भारतीयों का ऐसा विश्वास है कि सत्य की हमेशा  जीत होती है झूठ का सर्वदा नाश होता है. दीवाली भी हमें यही सिखाती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय. 

-शैलेन्द्र सिंह चौहान, मूसाखेड़ी, इंदौर, मप्र


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