ईको फ्रेंडली दीपावली- शैलेन्द्र सिंह चौहान, इंदौर, मप्र

 

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               दीपावली का पर्व हम खुशी और आनंद के साथ मनाते है. किन्तु इसी दिन सबसे ज्यादा पर्यावरण को नुकसान भी होता है, क्योंकि विभिन्न प्रकार के पटाखे, प्लास्टिक एवं केमिकल से निर्मित उत्पादों का हम अत्यधिक उपयोग करते है. इससे बचने के लिए हमें ईको फ्रेंडली दिवाली मनाना चाहिए. हम छोटे-छोटे उपायों को अपना कर इकोफ्रैंडली दीपावली मना सकते है-

प्लास्टिक के सजावटी सामान का इस्तेमाल ना करें-

        प्लास्टिक के सजावटी सामान सस्ते आते हैं लेकिन प्राकृतिक फूल सजावट की दृष्टि से सर्वोत्तम हैं. यह आसानी से पर्यावरण में मिल जाते है और पर्यावरण को बेहतर बनाते है जबकि प्लास्टिक के सजावटी सामान का विघटन नहीं हो पाता और यह पर्यावरण को क्षति पहुंचाते है.

मिट्टी के दीयों  का उपयोग सर्वश्रेष्ठ- 

       इलेक्ट्रॉनिक लाइट्स के अत्यधिक उपयोग की तुलना में मिट्टी के दीयों या मोमबत्ती का उपयोग सर्वश्रेष्ठ है, इसके दो फायदे है पहला यह कम खर्चीले है व दूसरा यह की यह बेहतर पर्यावरण के लिए सुरक्षित है.

पटाखों को कहे ना- 

           आपको पटाखों को ना कहना ही होगा क्योंकि यह थोड़े समय की खुशी तो देते हैं परन्तु हमारे पर्यावरण को बहुत अधिक  नुकसान पहुंचाते हैं. पटाखों से वायु प्रदूषण के साथ ध्वनि प्रदूषण भी फैलता है. इसके साथ ही बुजुर्गों और छोटे बच्चों की सेहत को भी नुकसान होता है. कई बुजुर्ग हृदय घात का शिकार तक भी हो जाते है.

प्राकृतिक रंगों से बनाएं रंगोली-

          बाजार में रासायनिक रंगों से निर्मित रंगोली के रंग बिक रहे  हैं, जो हमारे व पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है. हमें इनके स्थान पर हम प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए. प्राकृतिक रंग हम घर पर स्वयं भी बना सकते है. इसके लिए सूखे फूलों और पत्तों को पिसा जा सकता है व रंग बनाया जा सकता है. इसके अलावा भी कई अन्य तरीकों से इकोफ्रैंडली रंगोली बनाई जा सकती है. 

शैलेन्द्र सिंह चौहान,मूसाखेड़ी, इंदौर, मप्र

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