फटाखों से बढ़ता प्रदूषण- दुर्गा सोलंकी, मनावर, मप्र

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दीवाली की रात दिल्ली सहित देश के सैकड़ों शहरों की आबोहवा एक रात के इस जश्न में खतरनाक स्तर पर पहुंच गई. दीवाली पर प्रदूषण के आंकड़े कई रिकार्ड तोड़ने लगे हैं. इसका मुख्य कारण फटाखों से आतिशबाजी करना है. पहले दीवाली तथा अन्य उत्सवों पर खुशी प्रकट करने के लिए हल्की आतिशबाजी  ही की जाती थी और लोग सामान्यतः सामूहिक रूप से खुले मैदानों में आतिशबाजी कर इस खुशी को एक-दूसरे के साथ बांटते थे लेकिन अब कुछ वर्षों से आतिशबाजी का  स्वरूप बदल गया है. अब अत्यधिक तेज रोशनी,धुंए और आवाज वाले अत्यंत विस्फोटक पटाखों की भरमार है, जो पर्यावरण को भयंकर तरीके से प्रदूषित कर रहे है. पटाखों के धुएं कई तरह की विषैली गैसों के रासायनिक तत्व  पाए जाते है. जिससे की श्वास संबंधी रोग, कफ, सिरदर्द, आंखों में जलन, एलर्जी, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, अनिद्रा सहित कैंसर जैसी असाध्य बीमारियां फैल रही हैं. पटाखों की तेज आवाज से कानों के पर्दे फटने तथा बहरेपन जैसी समस्याएं भी तेजी से बढ़ी है.

एक रिपोर्ट के अनुसार मानव निर्मित वायु प्रदूषण से प्रतिवर्ष करीब 4 लाख 70 हजार लोग मर रहे हैं. देश में हर 10वां व्यक्ति अस्थमा का शिकार है, गर्भ में पल रहे बच्चों तक पर इसका खतरा मंडरा रहा है और कैंसर के मामले देशभर में तेजी से बढ़ रहे है. इससे स्पष्ट है की वायु प्रदुषण की समस्या हमारी सोच से कई गुना अधिक गंभीर है. अब देश का हर शहर धूल, धुएं, कचरे और शोर की समस्या से ग्रसित है. यह समस्या और अधिक बढ़े इससे पहले इस पर नियंत्रण करना आवश्यक है.

-दुर्गा सोलंकी, मनावर, धार, मप्र


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