मेरी विशेष दीपावली

वेबसाइट My Articles (sudarshansarticles.blogspot.com) अपने यूजर्स की रचनात्मकताओं को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से एक नया प्लेटफार्म उपलब्ध करा रहा है. My Articles द्वारा आयोजित रचनात्मक आयोजन में विषय- 'मेरी विशेष दीपावली' पर रचनाएं आमंत्रित की थी. जिसमें बड़ी संख्या में रचनाएं प्राप्त हुई. सभी प्रतिभागियों को सहभागिता के लिए धन्यवाद.! प्राप्त रचनाओं में से श्रेष्ट रचनाओं का चयन कर वेबसाइट My Articles पर प्रकाशन किया जा रहा है. 

आगामी आयोजन विषय- 'मेरा संकल्प 2021' पर होगा. जिसमें सभी आयु वर्ग से नए वर्ष में लिए जाने वाले संकल्प को सम्मिलित किया जाएगा. यूजर्स 2020 में लिए गए संकल्प भी भेज सकते है साथ ही यह भी लिखे की आपने अपने संकल्प को कैसे पूरा किया. इस नए वर्ष में आपका नया संकल्प क्या है और उसे कैसे पूरा करेंगे. नए वर्ष की  स्वरचित कविता, कहानी, लघुकथा एवं लेख भी आमंत्रित है. हमें 250 शब्दों में हिंदी मेसेज में टाइप कर अपने नाम, पते एवं फोटो के साथ व्हाट्सप्प नं. 777 187 8484 या  96856 94262 पर प्रेषित करे. अंतिम तिथि- 24-12-2020. सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का प्रकाशन नए वर्ष पर दिनांक- 01-01-2021 को किया जाएगा.

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        कहते है मां इस धरती पर साक्षात ईश्वर का अवतार होती है, जो अपने बच्चों के अनकहे भावों, शब्दों या उनके मन की बातों को पढ़ लेती है.... ऐसे ही अपने लाड़ले बेटे की मन की बातों को शब्दों का रूप देकर डॉ मोनिका सोलंकी ने हमारे साथ साझा किया है-

बड़ों के आशीर्वाद से सार्थक हुई मेरी दिवाली

हिमांक खेडेकर, मनावर, धार, मप्र

             मां मुझे खुशी है की मेरी इस तृतीय दिवाली पर भी आपका प्यार मेरे लिए उतना ही है जितना की पहली दिवाली पर था. यह अत्यंत ही खुशी की बात है की हमारा पूरा परिवार दिवाली पर एक साथ होता है और हम दिवाली बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है. 

            पापा मेरे लिए हर बार की तरह इस बार भी दिवाली पर इंदौर से विभिन्न प्रकार की मिठाईयां, नए कपड़ें और ढेर सारे खिलौनें लाए जिन्हें मैंने अपने फ्रेंड्स साथ शेयर किया. इसलिए मेरे सभी फ्रेंड्स पुरे दिन मेरे साथ ही रहते और हम फ्रेंड्स नए-नए गेम्स खेलते. इस दिवाली तो हम सब ने खूब मजे किए.

              मम्मा आपकी समझाइस थी की हमें इकोफ्रैंडली दिवाली मनानी है क्योंकि फटाखों, रंगोली के रासायनिक रंग एवं प्लास्टिक के सजावटी सामान हमारे स्वयं एवं पर्यावरण के लिए खतरा है. क्योंकि यह पर्यावरण में प्रदुषण फैलाने का कार्य करते है. जिसके कारण सभी जीव-जंतुओं को नुकसान होता है. इसलिए मैंने आपसे फटाखे खरीदने की जिद नहीं की. हमने पूरी तरह इकोफ्रैंडली दिवाली मनाई. मम्मा आपके द्वारा बनाई गई फूलों की रंगोली सबकों खूब पसंद आयी, साथ ही आपके द्वारा बनाएं गए स्वादिष्ट व्यंजन सभी ने बड़े मजे से खाएं.

            इसके साथ ही बड़ों से आशीर्वाद लेकर मैंने अपनी स्पेशल दिवाली को सार्थक बनाया. मम्मा-पापा आप हमेशा मुझे इसी तरह लाढ़-प्यार करते रहना और अपने आशीर्वाद से मेरे जीवन को सफल बनाएं रखना.

आपका नटखट व प्यारा बेटा

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नंदा नगर, इंदौर, मप्र निवासी समर्थ सोनी ने वैश्विक महामारी कोविड-19 से बचाव व सुरक्षा का संदेश प्रदर्शित करती हुई रंगोली बनाई है जिसमें इन्होंने इस महामारी के बचाव में मुख्य भूमिका निभाने वाले असली नायकों को भी दर्शाया है. 


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GR टाउनशिप, वडोदरा, गुजरात निवासी नेहा चौरसिया ने दीपावली पर हैंड मेड डेकोरेटिव थाली एवं मोल्डेड क्ले (ढली हुई मिट्टी) से सुंदर दिया बनाया है. इनकी यह क्रिएटिविटी अत्यंत सराहनीय है.


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   गरीबों में खुशियां बाटकर मनाई दिवाली

        
         दीपावली दीपों का त्योहार है. आध्यात्मिक रूप से यह "अन्धकार पर प्रकाश की विजय" को दर्शाता है. इस त्यौहार का नाम सुनते ही मन में खुशियों कि लहर उठ पड़ती है, जैसे की चहुं ओर खुशियां ही खुशियां फैल गई हो. हर शहर हर एक गली हर एक सड़क रोशनी से जगमगा उठती है. दीवाली आने से पहले ही हम दीवाली की तैयारियों में लग जाते है. दीवाली पर नए कपड़े पहना, पकवान बनाना तथा अपने-अपने पड़ोसियों रिश्तेदारों में पकवानों का आदान प्रदान करना और घर पर मेहमानों का आवागमन होना बड़ा ही हर्सोल्लास भरा माहौल होता है.

          मैंने इस दीवाली में चाइना से बनी किसी भी वस्तु का प्रयोग नहीं किया. मैंने पिछले कुछ वर्षो से शोर करने वाले पटाखों के बदले अत्यंत सिमित मात्रा में हरित फटाखे जालान शुरू किया है क्योंकि यह प्रदुषण कम फैलाते है.आप सब से भी यही निवेदन करूंगी की आप सब भी अब इकोफ्रैंडली दिवाली ही मनाए.

           मैं अपने इस लेख के माध्यम से एक और अनुरोध करना चाहूंगी कि आप छोटे दुकानदारों एवं फेरी करने वालो से ही दीपावली पर सामान खरीदिए और वह भी मोल भाव किए बिना क्योंकि आपका यह छोटा सा प्रयास उन गरीबों के घर भी खुशियां ला सकेगा. दीवाली खुशियों का त्योहार है और मेरा मानना है कि दीवाली वहीं है जिसमे खुशियां बांटी जाए तो आइए अब आने वाली हर दीवाली खुशियां बांटने का काम किया जाए.
-निकिता चौहान, बिचोली मर्दाना, इंदौर, मप्र

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मैंने मनाई इकोफ्रैंडली दिवाली


मैंने अपनी स्पेशल दिवाली पूरी तरह इकोफ्रैंडली दिवाली मनाई है. दीपावली पर की जाने वाली साज सज्जा में कोई भी चाइना या प्लास्टिक की सामग्री प्रयोग नहीं किया. नहीं फटाखे जलाए. यहां तक की मैंने रंगोली में भी कलर का उपयोग नहीं किया. मैंने फूल व पत्तों से इकोफ्रैंडली रंगोली बनाई है. मैंने बड़ी ही सादगी से दिवाली का त्यौहार मनाया है जो मेरे अंतर्मन को प्रन्नता से भर गया है. आशा है आप सब ने भी पर्यावरण हितैषी और खुशियों को बांटने वाली दिवाली मनाई होंगी. मैंने दिवाली पर ईश्वर से प्रार्थना भी की है की किसी के जीवन में अंधकार न रहे सबका जीवन सुखी, निरोगी और प्रकाशमान रहे.
-पद्मा भार्गवखलघाट, धरमपुरी, जिला-धार, मप्र
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मैंने मनाई चॉकोलेट्स क्रैकर्स व सुगर फ्री दिवाली


               जब भी दिवाली का नाम सुनते है तो हमारे मन में दो ही चीजे चकाचौंध होती है सबसे पहली चीज फटाखे और दूसरी चीज मिठाइयां. यह दोनों ही हमारी सेहत के लिए अच्छे नहीं है इसलिए इस दिवाली को मैंने स्पेशल और सेहतमंद दिवाली बनाने के लिए नवाचार किया और बच्चों को खतरनाक फटाखों से दूर रखने के लिए उनके लिए स्पेशल फटाखों जैसी दिखने वाली चॉकोलेट्स बनायी जिससे की वे फटाखों की जिद न करते हुए चॉकोलेट्स खा कर ही खुश हो जाए. साथ ही मैंने शुगर फ्री मिठाइयां बनायी जिसे मधुमेह रोगी भी बड़े मजे से खा सके. दिवाली पर घर पर आने वाले सभी मेहमानों को मैंने नास्ते के साथ जब चॉकोलेट्स क्रैकर्स व सुगर फ्री मिठाइयां खिलाई तो सब ने इसे खाया. खासकर बच्चों को चॉकोलेट्स क्रैकर्स खूब पसंद आए. सभी ने मेरे इस नवाचार की अत्यधिक प्रशंसा की. मैं भी अपने अंतर्मन से प्रसन्न हूं की मैंने अपनी इस स्पेशल दिवाली में पर्यावरण संरक्षण और लोगों को सेहतमंद रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. साथ ही मैं अपने काम में आगे भी इस तरह के नवाचारों को उपयोग में लाती रहूंगी जिससे लोगों को अच्छे और स्वादिष्ट व्यंजन के साथ ही सेहतमंद जीवन भी मिले.

-डाइटीशियन, प्रिंसी जैन दानी, जैन होम बेकरी, दमोह, मप्र
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-नेहा चौरसिया, GR टाउनशिप, वडोदरा, गुजरात
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-सोनू हिरवे, मंडलेश्वर, खरगोन, मप्र
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- राजकुमारी रघुवंशी, पिपलियाहना, , इंदौर, मप्र
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-शिखा लाड, इंदौर, मध्य प्रदेश
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दिवाली से जीवंत है हमारी परंपराएं


        हमारे देश के त्यौहारों की यह खासियत है कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक रहे है. हम प्राचीन काल से ही दीपावली पर्व असत्य पर सत्य की विजय,अंधकार पर प्रकाश एवं एकता व भाईचारे के उद्देश्य से मानते आ रहे है. वर्तमान में भी दीपावली आने पर घर से दूर रहने वाले कई व्यक्ति जो अपने काम से या नौकरी करने बाहर गए होते है वह छुट्टियां लेकर वापस अपने घर और समाज के साथ ही दीपावली का जश्न मानते है. भारतीय त्यौहार आज भी परिवार और समाज के एकत्रीकरण का ही त्यौहार है. इसलिए हम यह कह सकते है कि आधुनिकता वातावरण में भी दीपावली का त्यौहारों अपनी परंपराओं को जीवंत बनाए हुए है.

-शैलेन्द्र सिंह चौहान, जगदीशपूरी कॉलोनी, मूसाखेड़ी, इंदौर, मप्र
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-सुमन गुप्ता, नडियाद, खेड़ा, गुजरात 
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मंदसौर, मध्य प्रदेश निवासी चंचल चौहान ने अपनी छः महीने की बहन के लिए दीपावली पर रंगोली बनायीं है... साथ ही इनका आग्रह है की यदि इनकी रंगोली का चयन प्रकाशन के लिए किया जाता है तो रंगोली के साथ इनकी स्वयं की फोटो न लगाते हुए इनकी छः महीने की बहन वैष्णवी चौहान की फोटो लगायी जाए. जिसे हमनें स्वीकार्य किया है.


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आई दिवाली आई दिवाली

बांटो खुशियां सब मिलके मनाओ दिवाली
ना खेलो जुआं ना पटाखे जलाके फैलाओ धुआं
इस तरह से रुपयों का ना दुरुपयोग करो
गर हैं रुपए तो उनका सदुपयोग करो
आई दिवाली आई दिवाली
बांटो खुशियां सब मिलके मनाओ दिवाली

दीप जलाओ खुशियां मनाओ
अमावस की आई है रात ये काली
आओ सब संग मिलके मनाओ दिवाली  
श्री राम जी अयोध्या वापस आए थे
संग अपने वो ढेरों खुशियां लाए थे
आई दिवाली आई दिवाली
बांटो खुशियां सब मिलके मनाओ दिवाली

होता है इस दिन गणेश लक्ष्मी का पूजन
जिससे प्रफुल्लित होता है सबका मन
करो घर की सफाई खाओ मिठाई
चलो खुशियां मनाओ सब मिलके मनाओ दिवाली
आई दिवाली आई दिवाली
बांटो खुशियां सब मिलके मनाओ दिवाली

दिवाली में लोग खरीदें आभूषण 
अभिषेक का है संदेश कि ना फैलाओ चारों ओर प्रदूषण
आई दिवाली आई दिवाली
बांटो खुशियां सब मिलके मनाओ दिवाली

-अभिषेक शुक्ल, लखनऊ, उप्र
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-जिया गोयल, मनावर, धार, मप्र
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महापर्व दीपावली


           दीपावली, भारत में मनाए जाने वाले सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. इस पर्व को दीप जलाकर मनाया जाता है इसलिए इसे दीपावली या दिवाली कहते है. दीपावली का अर्थ है, दीपों की पंक्ति. इस प्रकार दीपों की पंक्तियों से सुसज्ज‍ित इस त्योहार को दीपावली कहा जाता है. यह पर्व कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है. इस महापर्व से अमावस की घोर अंधेरी रात असंख्य दीपों की रौशनी से प्रकाशमय हो जाती है. दीपक जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियां हैं. हिंदू मान्यताओं में राम भक्तों के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा असुरी वृत्तियों के प्रतीक रावण का संहार करके अयोध्या लौटे थे और तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था. जिसे हम दिवाली के रूप में मना रहे है. वहीं कृष्ण भक्ति धारा के लोगों का मत कुछ अलग है. इनके अतिरिक्त भी दिवाली पर्व की परंपरा के लिए कई किवदंतियां भी हैं.

-नीलेश धनगर, अजयबाग कॉलोनी, इंदौर, मप्र
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इसलिए मानते है दीपावली


            दीपावली का अर्थ है प्रकाश पर्व. यह रोशनी का वह त्यौहार जो शरद ऋतु की कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से प्रारंभ होकर अमावस्या के दो-दिन बाद शुक्ल पक्ष की यम द्वितीया अर्थात् भाई दूज तक पूरे पांच दिन तक चलता है. रात्रि के स्वामी चंद्रदेव के घटने और बढ़ने से ही इनका महत्व है. त्रयोदशी को धनवंतरी भगवान अमृत का घट लेकर समुद्र मंथन से प्रकट हुये असुरों के द्वारा उस घट को अपहृत कर लेने से देवताओं को चिंता बढ़ गई और वह विष्णु जी के पास गये. तब रूप चौदस को विष्णु जी ने मोहिनी रुप धारण कर दैत्यों को अपने सुन्दर रूप में फंसा कर देवताओं को अमृत और दैत्यों को वारुणी पिलाई. इस तरह घोर अमावस की अंधेरी रात में महा्लक्ष्मी का समुद्र से आविर्भाव हुआ. देवताओं ने अमृत पान का उत्सव मनाते हुये दीप पर्व मनाया. लक्ष्मी जी ने पति रूप में विष्णु जी का वरण किया. इसके बाद अन्नकूट गोवर्धन पूजा परंपरा है. यह दिन गौपालकों के लिये समर्पित और पांचवा दिन भाई दूज यमद्वितीया एवं चित्रगुप्त जी को समर्पित है. इस तरह दीपावली दीपोत्सव है जो पर्वो के समूह के रूप अनवरत पांच दिन तक मनाया जाता है. असदो मा सदगमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा$मृतम् गमय।।
-उषा सक्सेना, भोपाल, मध्य प्रदेश
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