प्रजातियों को खोजने का संकेत दिया है ओलिंगुइटो ने

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         ओलिंगुइटो(Bassaricyon neblina) एक स्तनधारी जीव है. जो अपने जीनस या वंश में आने वाली अन्य ओलिंगो प्रजातियों और किंकाजू से भिन्न है. यह एक सर्वाहारी फलाहारी जीव है एवं कभी कभी यह कीटों और फूलों के रस का भक्षण भी करता है. यह एकान्तप्रिय, रात्रिचर जीव है. यह एक विशुद्ध वृक्षवासी है. मादा ओलिंगुइटो के पास स्तनों की एक जोड़ी होती है तथा यह एक बार में एक ही संतान को जन्म देती है. इस जीव की खोज 15 अगस्त 2013 को की गई. 21 वीं शताब्दी में स्तनपाई जीवों की कोई नई प्रजाति मिलना एक दुर्लभ घटना है. अमरीका के वैज्ञानिकों को कोलंबिया और इक्वाडोर के घने जंगलों में एक नया स्तनपाई जीव मिला जिसका नाम ओलिंगुइटो रखा गया है. पिछले कई सालों में पहली बार मांसाहारी जीव की कोई प्रजाति अमरीकी महाद्वीप में खोजी गई है. इसका श्रेय स्मिथसोनिअन इंस्टिट्यूट को जाता है. इसकी खोज क्रिस्टोफ़र हेल्गन, प्राकृतिक विज्ञान का उत्तरी केरोलिना संग्रहालय के ओलिंगो विशेषज्ञ रोलैण्ड केज़ और सहयोगियों ने संयुक्त रूप से की है.


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          इस खोज से पहले भी ओलिंगीटुओं को कई बार देखा गया था, यहां तक कि कई दशकों से इन्हें सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित भी किया गया. परन्तु यह एक अन्य प्रजाति के सदस्य है इसका पता बाद में इसकी खोज से चला. इसे इसी के समान दिखने वाले ओलिंगो का ही संबंधी माना जाता रहा था. ऐसा ही एक उदाहरण रिंगर्ल नामक ओलिंगीटो का है जो लगभग एक वर्ष तक वाशिंगटन, डीसी के राष्ट्रीय चिड़ियाघर में रहा तथा उसे कई अन्य चिड़ियाघरों में भी भेजा गया. शोधकर्ताओं ने उसका प्रजनन अन्य ओलिंगो के साथ कराने के कई प्रयास किये क्योंकि वो नहीं जानते थे की यह एक अलग प्रजाति का जीव है इसलिए उनके सारे प्रयास असफल रहे. इस घटना पर सोसाइटी फॉर नेचुरल हिस्ट्री कलेक्शन के अध्यक्ष क्रिस नोरिस ने कहा है, 'आज के समय यह संग्राहलयों में काम करने वालों के लिए एक सीख है कि अगर आप वहां सही से रखरखाव नहीं करेंगे तो वह भविष्य के लिए नहीं बचेंगे.'

           पुराने समय में वैज्ञानिकों को नई प्रजातियों को खोजने में बहुत अधिक काम करना पड़ा होगा क्योंकि उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों का अभाव रहा है. अब हम तकनिकी तौर पर अत्यधिक समृद्ध हो चुके है. ऐसे में जीवों की प्रजातियों को खोजा जाना आसान है. परन्तु ओलिंगुइटो की खोज में हुई देरी हैरान करने वाली है.

          वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार दुनिया में जीव जंतुओं की लगभग 87 लाख प्रजातियां हैं लेकिन इनमें से कई प्रजातियों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है. वैज्ञानिकों ने इसके लिए पेड़ पौधों की पत्तियों और शाखाओं का अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला की सभी जीव प्रजातियों की पहचान करने में कम से कम एक हजार साल और लगेंगे. शोध जर्नल पीएलओएस बायोलॉजी में वैज्ञानिकों द्वारा चेतावनी भी दी गई है की यदि शेष प्रजातियों की खोज शीघ्र नहीं की गई तो इनमें से कई प्रजातियां जल्दी ही लुप्त हो जाएंगी. शोध के अनुसार 87 लाख जीव जंतुओं में बड़ी आबादी जानवरों की है. हालांकि इनमें बैक्टीरिया और कुछ अन्य सूक्ष्म जीवों को शामिल नहीं किया गया है. शोधकर्ताओं ने समुद्र की प्रजातियों के संबंध में अनुमान लगाया है कि समुद्र में लगभग 10 लाख प्रजातियां पाई जाती है, इनमें से अभी तक केवल दो लाख छब्बीस हजार प्रजातियों की ही खोज की गई है. अथार्थ सभी समुद्री प्रजातियों का दो-तिहाई हिस्सा अभी भी विज्ञान के लिए अज्ञात है. 

        निष्कर्षतः कहा जा सकता है की वैज्ञानिकों द्वारा अब तक पृथ्वी पर थोड़े बहुत जीव ही सूचीबद्ध हुए है. डॉक्टर हेल्गन ने ओलिंगुइटो की पूर्व में पहचान नहीं होने पर कहा है, " यह हमें याद दिलाता है कि अभी तक दुनिया को पूरी तरह जाना नहीं गया है और खोज का दौर ख़त्म नहीं हुआ है. ओलिंगुइटो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है, " और क्या बचा है ?"

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