चोट लगने पर दर्द कम या ज्यादा ऐसे तय होता है

 


                 वैज्ञानिकों ने एक शोध से पता लगाया है कि दर्द को सहन करने या उसे महसूस करने का सबका अनुभव वक्त और स्थान के साथ बदल जाता है. यही कारण है कि कभी हमें अधिक दर्द महसूस होता है और कभी कहीं दर्द होने पर दर्द का पता भी नहीं चलता है.
               ऑक्सफोर्ड सेंटर फॉर फंक्शनल मैगनेटिक रिसोनेंस इमेजिंग (एएमआरआई) नामक संस्थान के साथ काम करने वाली इर्नी ट्रेसी ने दिमाग द्वारा पैदा की जाने वाली तस्वीरों को हासिल करने के बाद उनके अध्ययन के माध्यम से यह पता लगाया है कि इंसानों में दर्द को झेलने की अलग-अलग वक्त पर बिल्कुल अलग क्षमता होती है. एक सर्वेक्षण से पता चला है कि जिन लोगों में दर्द को झेलने की क्षमता कम होती है या फिर जो इसकी अनुभूति से जल्दी घबरा जाते हैं, वे दर्द के क्षणों में अपने दिमाग के साथ बेहतर संपर्क स्थापित नहीं कर पाते. यही कारण है कि उन्हें किसी चोट पर अधिक दर्द होता है. जबकि जब इंसान का दिमाग के साथ बेहतर संपर्क स्थापित होता है तो चोट लगने पर कम दर्द महसूस किया जाता है. 


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