मानवाधिकार (Human Rights)- जिया गोयल

 

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                 लोगों के अधिकारों को पहचान देने एवं उनके अधिकारों के लिए जारी हर लड़ाई को ताकत देने के लिए प्रति वर्ष 10 दिसंबर को अंतरराष्‍ट्रीय मानवाधिकार दिवस यानी यूनिवर्सल ह्यूमन राइट्स डे मनाया जाता है.

मानव अधिकारों का अभिप्राय "मौलिक अधिकार एवं स्वतंत्रता से है जिसके हम सब हकदार है। अधिकारों एवं स्वतंत्रताओं के रूप में जिनकी गणना की जाती है, उनमें नागरिक और राजनैतिक अधिकार सम्मिलित हैं जैसे कि जीवन और आजाद रहने का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के सामने समानता एवं आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के साथ ही साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार, भोजन का अधिकार काम करने का अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार है। सभी लोगों की जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है मानवाधिकार है।

द ट्वेल्व आर्टिकल्स ऑफ़ द ब्लैक फॉरेस्ट (1525) को यूरोप में मानवाधिकारों का प्रथम दस्तावेज़ माना जाता है। सन 1776 में संयुक्त राज्य में और सन 1789 में फ्रांस में 18 वीं शताब्दी के दौरान दो प्रमुख क्रांतियां घटीं. तत्पश्चात संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता की घोषणा एवं फ्रांसीसी मनुष्य की मानव तथा नागरिकों के अधिकारों की घोषणा का अभिग्रहण हुआ। इन दोनों क्रांतियों ने ही कुछ निश्चित कानूनी अधिकार की स्थापना की।

भारतीय संविधान मानवाधिकार की न सिर्फ गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को कानूनी सजा भी देता है। 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत)-

भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वायत्त विधिक संस्था है। इसकी स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को हुई थी। इसकी स्थापना मानवाधिकार सरक्षण अधिनियम 1993 के तहत की गई है। यह आयोग देश में मानवाधिकारों का प्रहरी है,यह सविंधान द्वारा अभिनिश्चित तथा अंतरराष्ट्रीय संधियों में निर्मित व्यक्तिगत अधिकारों का संरक्षक है। यह एक बहु सदस्यीय निकाय है। इसके प्रथम अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र थे। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप है जिन्हें अक्टूबर, 1991 में पेरिस में मानव अधिकार संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए राष्ट्रीय संस्थानों पर आयोजित पहली अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में अंगीकृत किया गया था तथा 20 दिसम्बर, 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संकल्प 48/134 के रूप में समर्थित किया गया था।

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