कविता (Poem)

 शिक्षा करना होगी सुगम सहज़


देखो कैसा समय है आया,
कोरोना ने कहर दिखाया,
बंद कर दी थी पाठशाला,
घर ही बन गई अध्ययन शाला,
गुरु जी को फिर आई समझ,
शिक्षा करना होंगी सुगम सहज़,
शिक्षा करना होगी सुगम सहज़।

गुरुजी ने फिर है बुलाया,
पेड़ के नीचे दूर- दूर बैठाया,
कही सबसे एक यह बात,
मास्क सदैव रहें साथ,
दो गज दूरी, मास्क ज़रूरी,
समझना होगा अब दिन रात,
सेहत , स्वास्थ्य, बहुत जरूरी,
वरना होगा तुम पर घात,
किताबें जब भी होगी हाथ,
धोना होगा हाथ तत्पश्चात,
किताबों का तुम रखना ध्यान,
उसी में मिलेगा तुम को ज्ञान,
आन लाइन का है ये ज़माना,
यही बात तुम को समझाना ।

-कृष्णा जोशी, इंदौर, मध्य प्रदेश


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