बलाई समाज महिला सम्मान समारोह - 2021


म.प्र. बलाई समाज महासंघ तहसील इकाई मनावर, जिला- धार द्वारा समाज की ऐसी महिलाओं को सम्मानित किया जा रहा है जिन्होनें विपरीत हालातों से लड़ते हुए ऐसा कार्य कर दिखाया है जिसने न सिर्फ बलाई समाज को गौरवांकित किया बल्कि वह हर समाज के लिए प्रेरणा और आदर्श का स्रोत भी बनी है।

बलाई समाज महासंघ तहसील इकाई मनावर की महिला तहसील अध्यक्ष डॉ. मोनिका खेडेकर एवं महासचिव श्रीमती राधा सवनेर ने कहा है कि 'भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। महिलाओं का सम्मान बहुत अच्छी बात है, बल्कि उनका सम्मान तो हर दिन होना चाहिए। घर से लेकर बाहर तक जिस बखूबी से वह जिम्मेदारियां निभाती हैं, उसकी जितनी भी तारीफ कि जाए कम ही होंगी। हालांकि आज भी महिलाओं को कई जगह अपने अधिकार की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। यहां तक कि सामाजिक स्तर पर कहे जाने वाले परित्यक्ता व विधवा जैसे शब्द महिला को मानसिक रूप से प्रताड़ना देते है व उसे आगे बढ़ने से रोकते है। किन्तु महिलाओं को इनसे विचलित हुए बिना अपनी प्रतिभा के बल पर कामयाबी हासिल कर नित नए कीर्तिमान रचने होंगे।'

आज की महिलाएं अपने कर्तव्यों के साथ-साथ अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति भी सजग है। हम अपने आप को शौभाग्यशाली मानते है कि आज हमें उन महिलाओं को सम्मानित करने का मौका मिला है जो अपने जीवन में आयी कठिन चुनौतियों से लड़ते हुए स्वयं को साबित कर चूँकि है।



नाम - किरण साकले
पति -  स्व. श्री विजय साकले
उम्र -  38 वर्ष 
शिक्षा - अशिक्षित
निवास - बालीपुर, मनावर 
                                                              

आज से करीब 16 वर्ष पूर्व इनके पति का स्वर्गवास हुआ था. अल्पायु में ही पति के स्वर्गवास होने से लगभग इन्होंने अपना सब कुछ ही खो दिया था. इनके पास कुछ बचा था तो सिर्फ अपनी दो नन्हीं सी बिटियां. उस समय इनकी एक बिटिया की उम्र डेढ़ वर्ष तथा दूसरी की आयु तीन वर्ष थी. तब से ही इन्होंने कई संघर्ष व मजदूरी कर अपनी दोनों बेटियों को पढ़ाया. आज इनकी बड़ी बेटी कॉलेज एवं छोटी बेटी 12वीं कक्षा में अध्ययनरत है. आर्थिक तंगी होने के कारण स्वयं तो मजदूरी करती है किन्तु इन्होनें अपनी दोनों बेटियों को न सिर्फ मजदूरी से दूर रखा बल्कि इनका लालन पालन भी श्रेष्ट तरीके से किया. माँ होते हुए भी समय आने पर पिता की भूमिका में भी खरी उतरी एवं बालिकाओं को शिक्षित किया. 

समाज को इनका संदेश-
जीवन में चाहे जितनी बड़ी मुसीबत आए हमें हार नहीं मानना चाहिए. बालिकाओं को अच्छी परवरिश के साथ शिक्षित किया जाए तो वह न सिर्फ अपने घर, परिवार बल्कि पुरे समाज का नाम रोशन करने की काबिलियत रखती है.
-----------------



नाम - सुश्री शारदा सोलंकी
पिता - स्व. श्री दयाराम जी सोलंकी
माता - श्रीमती कला सोलंकी
उम्र - 36 वर्ष
शिक्षा - स्नातक
निवास - मनावर

यह चार बहनों में सबसे बड़ी बहन है। इनका एक भाई भी था जो मानसिक दिव्यांग होने की वजह से सिर्फ 25 वर्ष तक की आयु ही पूर्ण कर सका। परिवार में सबसे बड़ी होने की वजह से माता-पिता के साथ ही तीनों बहनों की जिम्मेदारी को इन्होनें अच्छे से संभाला। तीनों बहनों की शादी होने के बाद घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से इन्होनें विवाह न करने का फैसला लिया ताकि यह अपने माता-पिता को आर्थिक सहायता के साथ ही उनकी देखभाल भी कर सके। इनके पिताजी का देहांत होने के बाद अब अपनी माँ के साथ रह कर उनकी देखभाल कर रही है। इन्होनें समाज को साबित कर दिखाया है की आज की नारी पुरुष से कम नहीं है। वह भी बेटे की तरह अपने माता-पिता को आर्थिक संकटों से बचाने के साथ ही उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी बेहतर तरीके से निभा सकती है।

समाज को इनका संदेश-
जिस प्रकार एक बेटा माता-पिता की देखभाल कर सकता है उसी तरह एक बेटी भी अपने माता-पिता की देखभाल के लिए समर्पित होती है. इसलिए बेटियों को कभी भी बेटों से कम न आंका जाए. उन्हें शिक्षित कर एक अच्छे समाज की स्थापना करे.
--------------------



नाम - श्रीमती गीता  चौहान
पति - श्री रुखड़ू चौहान 
उम्र - 55 वर्ष 
शिक्षा - अशिक्षित
निवास - मनावर

यह अशिक्षित है किन्तु इन्होनें न सिर्फ अपनी बेटी को उच्च शिक्षित किया बल्कि अपनी बहुओं को भी उच्च शिक्षित कर समाज के लिए शिक्षा का संदेश दिया है। इसके पीछे इनका मुख्य उद्देश्य यही था की जो कुछ भी इन्होंने अशिक्षित होने की वजह से सहन किया है वही सब कुछ अब इनकी बेटी या बहु को सहना ना पड़े। इन्होंने अपनी बहुओं को स्नातक व शिक्षा शास्त्र में डिप्लोमा की उपाधि हेतु घर से शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता दी जिसकी वजह से उन्हें  उपाधि हासिल करना आसान हो गया। इसके साथ ही इन्होंने अपनी बहुओं को जॉब करने की स्वतंत्रता भी दे रखी है।

समाज को इनका संदेश-
जब मेरी दोनों बहु ने स्नातक किया तो मुझे लगा की मैं स्वयं शिक्षित हो गई हूँ, मेरे लिए मेरी बहुएं भी बेटी की तरह ही है. मैंने उन्हें शिक्षित कर आत्मनिर्भर बना दिया है. साथ ही शिक्षित होने से वह अपने बच्चों की उचित देखभाल और परवरिश भी कर सकेगी. इसलिए मैं समाज में यह संदेश देना चाहती हूँ की अपनी बहु को भी अपनी बेटी की तरह ही समझे और उन्हें शिक्षित कर आत्म निर्भर बनाएं.
------------------



नाम - श्रीमती लीला सोलंकी
पति - श्री श्रवण सोलंकी
उम्र - 56 वर्ष
शिक्षा - अशिक्षित
निवास - मनावर

यह स्वयं अशिक्षित है किंतु इन्होंने अपनी बहुओं को हाई स्कूल व हायर सेकंडरी की परीक्षा उत्तीर्ण करवाकर डीएड करवाया. क्योंकि बढ़ती महंगाई व बेरोजगारी के इस कठिन समय में भी घर परिवार पर आर्थिक संकट न आए. बहु शिक्षित है तो वह अपने बच्चों को घर पर पढ़ा कर उनके उज्जवल भविष्य के निर्माण की आधार शिला तैयार कर रही है. 

समाज को इनका संदेश-
जब एक महिला शिक्षित होती है तो वह अपने पुरे परिवार को शिक्षित बनाती है. बहु भी बेटी व बेटे की तरह ही होती है जो पुरे घर परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती है. उन्हें भी बेटी की तरह ही रखना एवं शिक्षित किया जाना चाहिए. हमारा समाज मुख्य रूप से महिलाओं के प्रति सुनियोजित तरीके से अपनी भूमिका निभाएं एवं उनकी समस्याओं का उचित समाधान करे तो हमारे समाज की महिलाएं जागरूक व सशक्त बन सकेगी.
--------------



नाम - प्रियंका सोलंकी
पिता - श्री कांतिलाल सोलंकी
माता -  श्रीमती रेखा सोलंकी 
उम्र  -  23 वर्ष
शिक्षा - स्नातक 
निवास - मनावर

इन्होंने हायर सेकंडरी की परीक्षा मनावर से उत्तीर्ण कर इंदौर के होल्कर विज्ञान महाविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में स्नातक किया है. इसी समय यह विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयार भी करती रही। परिणाम स्वरूप इनका चयन जेल प्रहरी में हुआ और यह वर्तमान में कसरावद में अपनी सेवाएं दे रही है. इसी तरह राष्ट्र सेवा को ओर बेहतर तरीके से करने के लिए अब यह एसआई की तैयारी भी कर रही है.

समाज को इनका संदेश-
जिस प्रकार से बेटे घर, परिवार, समाज व राष्ट्र की सुरक्षा करते है वैसे ही अब बेटियां भी राष्ट्र सुरक्षा जैसी बड़ी जिम्मेदारियों को संभालने में सक्षम है. कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स जैसी महिलाओं ने साबित किया है कि नारी सिर्फ भूमंडल तक ही सीमित नहीं है यदि उन्हें मौका मिले तो वह अंतरिक्ष तक में अपना परचम फहरा सकती है. इसलिए समाज में यही संदेश देना चाहूंगी कि हर बेटी और बहु को शिक्षित करे जिससे वह हमारे समाज को प्रदेश ही नहीं अपितु देश दुनिया में गौरवांकित करे.
--------------



नाम - रियांशी बागेश्वर
पिता  - श्री दिनेश बागेश्वर
माता - श्रीमती ममता बागेश्वर
उम्र - 19 वर्ष
शिक्षा - एमबीबीएस अध्यनरत 
निवास - झापड़ी, मनावर

यह बचपन से ही एक प्रतिभाशाली छात्रा रही है. कक्षा पांचवी में इनका चयन जवाहर नवोदय विद्यालय में हुआ था. इन्होंने बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण होने के बाद नीट की परीक्षा दी जिसमें यह सफल हुई. माता सिलाई का कार्य करती है एवं पिताजी खेती करते हैं. माता-पिता ने अपनी बच्ची के लिए वह सब कुछ किया जो उसके लिए जरुरी था. अपनी बेटी को इन्होंने अपनी इच्छा से रहने और पढ़ने की स्वतंत्रता दी जिससे फलस्वरूप इनकी बेटी रियांशी का चयन एमबीबीएस हुआ. डॉक्टर बनकर यह हमारे समाज की सेवा करना चाहती है.

समाज को इनका संदेश-
हर बेटी प्रतिभाशाली होती है, इसलिए समाज की हर बेटी को उसकी इच्छा के अनुसार आगे बढ़ने दिया जाना चाहिए. शिक्षा ही नहीं बल्कि खेल, एक्टिंग, राजनीति, कॉर्पोरेट इत्यादि क्षेत्रों में अगर उसे आगे बढ़ने का मौका मिले तो वह न सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन करेंगी बल्कि हमारे पुरे समाज को श्रेष्ट समाज साबित कर दिखाएंगी.
-------------

इनके अतिरिक्त भी समाज की कई महिलाओं ने कठिन परिस्थितियों का सामना कर समाज में उत्कृष्ट कार्य किया है. इन सभी महिलाओं को भी इस अवसर पर सम्मानित किया जा रहा है-

1.  श्रीमती मंजू गोयल
2.  श्रीमती भगवती सवनेर
3.  श्रीमती पार्वती बागेश्वर
4.  श्रीमती सुनीता वासने
5.  श्रीमती सावित्री अलावा
6.  श्रीमती कला सोलंकी
7.  श्रीमती रेणुका वासुरे
8.  श्रीमती राधा सोलंकी
9.  सुश्री जया वानखेड़े
10. श्रीमती जानकी सोलंकी
11. श्रीमती शालू सोलंकी
12. श्रीमती प्रेम शिंदे
13. श्रीमती मंजू प्रकाश 
14. श्रीमती देवका सूर्यवंशी

डॉ. खेडेकर ने कहा है कि बलाई समाज महासंघ तहसील इकाई मनावर समाज के उत्थान व हित के लिए कई उद्द्श्यों को लेकर कार्य कर रहा है. जिसमें महिलाओं से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दी गई है. समाज में महिलाओं की वर्तमान स्थिति पहले की तुलना में कई गुना बेहतर है. इन्होंने कहा है की अब हमारे समाज से अंतरिक्ष यात्री, आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर, जज, राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी, वैज्ञानिक इत्यादि क्षेत्रों में महिलाएं पहुंचे और समाज को नई पहचान दे। इसके लिए जरुरी है कि समाज की हर बेटी को उसके माता-पिता उसकी इच्छा अनुरूप उसके पसंदीदा कार्य क्षेत्र में आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर दे व समाज का हर व्यक्ति इस कार्य  में सहयोग करे.





Comments