कविता- नारी शक्ति सम्मान: कृष्णा जोशी
नारी शक्ति के सम्मान में
मेरे भारत देश महान में
पूजी जाती है जहाँ नारी
देवी रूप कहलाती नारी
वह पड़ती है नर पर भारी
कदम से कदम मिलाकर चलती
वह न किसी की दया में पलती
अपने रास्ते वह खुद चुनती
सपने कई नये वह बुनती
राजनीति से सेना तक
रेल से हवाई जहाज तक
हर कौशल में है वह आगे
तरक्की की राह में भागे
अब न वह अबला कहलाये
सबला बन पहचानी जाये
नारी बिन न ये संसार पूरा
नर भी है नारी बिन अधूरा
नारी से इतिहास सजा है
नारी ने इस नर को रचा है
नारी शक्ति् सम्मान जो पाये
"कृष्णा" ने ये करके दिखाये ।
Nice post from Aaj Tak Breaking News In Hindi Today
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