तनाव मुक्त जीवन जीना होगा: निकिता चौहान, बिचोली मर्दाना, इंदौर, मप्र



भारत का हर तीसरा व्यक्ति डिप्रेशन यानि तनाव से ग्रसित है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में तनाव काफी बढ़ता जा रहा है। जिसका मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी इत्यादि है. वर्तमान में लोग सहायता करने के बजाए एक दूसरे से आगे निकलने की चाह में या दूसरों की बेहतर स्थिति को देखकर मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हो रहे है. बच्चें पढ़ाई को ले कर डिप्रेशन में हो रहे है तो है तो वहीं व्यस्क रोजगार की चिंता में तनाव युक्त जीवन जी रहे है. आज डिप्रेशन इतना बढ़ गया है कि युवा ओर बच्चों के लिए गंभीर खतरा बन गया है. वृद्ध भी अपने आप को अकेला महसूस कर तनाव में रहते है. जब कोई उनके साथ समय नहीं बिताता या फिर उनके साथ नहीं रहता है तब वे अत्यधिक तनाव में हो जाते है जिससे कई अन्य कई बीमारियां भी उन्हें घेर लेती है. इसलिए तनाव से बचना बहुत ही जरुरी है. इसके लिए हमें सब के साथ अच्छा व्यवहार और मददगार बनना चाहिए. बच्चों में किताबी ज्ञान के महत्व को हटाकर व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा दिया जाए तो वह भी तनाव मुक्त रह सकेंगे. बुजुर्गों को अकेला छोड़ने के बजाए उनके साथ वक्त बिताना चाहिए, जिससे की वे और हम दोनों ही तनाव मुक्त एवं खुशहाल जीवन जी सकेंगे. 





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