कविता- जल
जल ही जीवन है यह जान,
मत कर तू इसका अपमान,
पवित्र नदियाँ देती सदा जल
न कर इन्हें गंदा मिलेगा फल
जल बचाकर जीवन बचायें
संकल्प हम सब यह अपनायें
बूंद-बूंद से घड़ा भर जाता
बूंद-बूंद से सागर भर जाता
जल है तो कल है सबका कहना,
जल बिन न जीवन याद रखना
स्वच्छ जल रहे सबकी जिम्मेदारी
गंदा न हो जल सबकी जवाबदारी
-कृष्णा जोशी, इंदौर, मप्र
nice
ReplyDeleteNice.. 👏👏
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