मेरे सपनों का स्वर्णिम मेरा समाज: भाग-2

हमारी रूढ़िवादी मानसिकता में बदलाव लाना होगा

हम हमारे समाज की बात करते हैं तो हमारे सामने ऐसी कई कुरीतियां आती है जिनको हम परंपरा मानकर निभाते आ रहे हैं जैसे -छोटी उम्र में शादी करना, दहेज, लड़कियों को महत्व न देना, बालिकाओं को शिक्षा न देकर घरेलु कार्य करवाना, मृत्यु भोज, केवल पुत्र ही चिता को मुखाग्नि देगा इसके अतिरिक्त अगर किसी के पति या पत्नी की मृत्यु हो जाती है तो उनके अलग-अलग नियम इत्यादि कई ऐसी कई कुरीतियां हैं जिनको हम आज भी परंपरा के आधार पर निभाते आ रहे हैं. यह कुरीतियां हमारे समाज  में प्रभावी रूप से है क्योंकि हम जागरूक नहीं हैं. जब तक हमारे समाज के लोग शिक्षित नहीं होंगे, वह जागरूक नहीं होंगे और मनुवादी प्रवृत्ति या कुरीतियों से घिरे रहेंगे. इन सब से स्वतंत्र होने के लिए हमें अपनी मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर का एक विचार जो मुझे सबसे अच्छा लगा है वह यह की "बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।"  मेरा मानना है की जितना हम विचार करेंगे तर्क लगाएंगे उतनी हमारी सोचने समझने की क्षमता में वृद्धि होगी. हमें स्वर्णिम समाज के निर्माण के लिए समाज में फैली कुरीतियों को बदल कर या नकार कर एक अच्छे समाज की स्थापना करनी होंगी । 

-रेणुका सोलंकी, भगत सिंह मार्ग मनावर, धार

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शीतल गोयल, ग्राम-बालीपुर, तह.-मनावर, जिला-धार द्वारा बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं का सन्देश देती खूबसूरत पेंटिंग.


-शीतल गोयल, ग्राम-बालीपुर, तह.-मनावर

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 स्वर्णिम समाज के निर्माण के लिए वैचारिक क्रांति का होना जरुरी 


हमारे समाज को स्वर्णिम समाज बनाने के लिए वैचारिक क्रांति की आवश्यकता है, जिसमें बाबा साहब अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले, छत्रपति शाहू जी महाराज, बिरसा मुंडा, राष्ट्र सन्त गाडगे , पेरियार रामास्वामी, रविदास महाराज, गुरुनानक, कबीर, मा. कांशीरामजी आदि समाज सुधारक चिंतक महापुरुषों के विचारों को ग्रहण करना होगा. आजादी के बाद समाज में शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है. परंतु सामाजिक सुधार में आज भी जनक्रान्ति की आवश्यकता है. हम आज भी कुरीतियों, अंधविश्वास, पाखण्ड से बंधे हुए है जिससे आर्थिक रूप से कमजोर तो होते ही है परंतु आज भी मानसिक रूप से गुलाम है. हमारी जनसंख्या  का अधिकांश भाग आज भी गांवों में निवास करता है ज्यादातर लोग खेतिहीन ही है जहाँ की आजीविका का साधन मजदूरी ही है. ऐसे परिवारों को स्वरोजगार के माध्यम से शशक्त बनाया जा सकता है, जिसमे शासन की भूमिका महत्वपूर्ण है. स्कूलों में हमारे समाज के बच्चों की संख्या निश्चित बढ़ रही है, लेकिन उचे दर्जे की पढ़ाई का रुख करते-करते ये तादात घटने लगती है. अन्य समाज की तुलना में हमारे समाज के बच्चों की पढ़ाई छोड़ने की दर दुगुनी है. हमें शिक्षा के प्रति समाजजन को जागरूक कर प्रोत्साहित करना होगा. अपने अधिकारों को जानने व समाज के सभी लोगों तक पहुंचाने के लिए समाज का जो वर्ग अधिक सम्पन्न शील है उन्हें आगे आना होगा.

समाज में मदिरापान जैसी बुरी आदतें भी हमारे पिछड़ेपन व गरीबी का एक कारण है जो परिवारों में कलह को जन्म देता है. इसके लिए भी एक अभियान की आवश्यकता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार हमारे समाज पर अत्याचार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जिसके लिए सम्पूर्ण समाज को एकजुट होकर उनका सामना करना चाहिए. बाबा साहब ने कहा है कि जब तक हम सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं करते हैं तब तक कानून द्वारा जो भी स्वतंत्रता प्रदान की जाती है वह आपके लिए कोई लाभकारी नहीं है. बाबा साहब ने हमें वोट की शक्ति का अधिकार दिया है. मान्यवर कांशीराम जी के अनुसार जब तक हम राजनीति में सफल नहीं होंगे और हमारे हाथों में शक्ति नहीं होगी तब तक सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन सम्भव नहीं है. राजनीतिक शक्ति सफलता की कुंजी है.

बेहतर समाज निर्माण के लिए तहसील व ब्लॉक स्तर पर लायब्रेरी हो जिसमें हमारे समाज के महापुरुषों के ग्रन्थ वाचन हेतु उपलब्ध हो जिससे युवाओ में सामाजिक क्रांति का संचार हो सके. हमारे सपनों का स्वर्णिम समाज तभी बनेगा जब समाज का  प्रत्येक नागरिक समाज की जिम्मेदारियों एवं कर्तव्यों का वहन करते हुए न्यौछावर होने को तत्पर होगा.

-अभिषेक पाचुरेकर, पंचवटी कॉलोनी, मनावर, धार

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स्वर्णिम समाज के निर्माण के लिए कई पहलुओं पर सुधार करना होगा


1. अंधविश्वास एवं पाखंडता से समाज को दूर रखें- समाज की उन्नति के लिए हमें सर्वप्रथम हमारे समाज को इन तमाम कुरीतियों से दूर रखना होगा.

2. शिक्षा- जैसा कि मैंने कहा है की हमें समाज को अंधविश्वास एवं पाखंडता से दूर रखना है ये तभी संभव होगा जब हमारा युवा वर्ग शिक्षित होगा शिक्षा से मेरा तात्पर्य यह नहीं है कि हमें शिक्षित होकर नौकरी करके नौकर बनना है बल्कि शिक्षा से मेरा तात्पर्य है कि हमें बड़ा नौकर बनने के बजाय छोटा मालिक बनना अधिक पसंद होना चाहिए.

3. जागरूकता- शिक्षा के साथ-साथ हमारे समाज को जागरूक करना होगा आज हमारा समाज पिछड़ा हुआ है. बिखरे समाज को हमें एकत्रित कर समाजजन को जागरूक करना होगा.

4. बालिकाओं कि स्वतंत्रता- जागरूकता के साथ -साथ हमें बालिकाओं को पढ़ने की आजादी देनी होंगी जब हम हमारे बालक को स्कूल, कॉलेज में अध्यन के लिए बड़े शहरों में भेज कर उन्हें अच्छी शिक्षा दिलवा सकते है तो बालिकाओं को भी इस तरह कि  स्वतंत्रता मिलनी चाहिए.

5. समाज को नशा मुक्त करना- आज हमारे समाज में अधिकांश युवा वर्ग है जिन्हें नशे की लत लगी हुई है ऐसे युवाओं को बाबा साहब के विचारों से तथा उन्हें प्रतिदिन किसी सामाजिक कार्य से जोड़कर उन्हें प्रोत्साहित तथा मार्गदर्शन देकर उनकी नशें की लत को छुड़वाया जाना चाहिए.

6.मृत्यु भोज पर रोक- समाज के अंदर ये बात रखनी है की जो गया है उसका हमें दुःख है हम चाहे जितना खर्च कर ले वो लौटकर वापस नहीं आ सकता है फिर उसके नाम पर इतना खर्चा क्यों.? हमें समाज को एकत्रित कर उस परिवार के बोझ को कम करना चाहिए तथा उस परिवार को इस बेमतलब के आर्थिक बोझ से बचाना चाहिए.

-रितेश चौहानपिंक फ्लावर कॉलोनी, मनावर, धार

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समाज को साकार रूप देना होगा



मेरी कल्पना में मेरे आदर्श समाज का स्वरूप इस तरह होना चाहिए की व्यक्ति का सर्वांगीण हो. हमारे समाज के भीतर लोकतांत्रिक मूल्यों में समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व की भावना, समाज के लोगों के बीच आंतरिक चेतना के रूप में विद्यमान हो जिसके द्वारा वह आपसी सहयोग, समन्वयता ,व्यवहार, वैज्ञानिक दृष्टिकोण की भावना समाज के हर व्यक्ति के अंदर जब तक निर्मित नहीं होती है सर्वश्रेष्ठ समाज की कल्पना पर प्रश्नचिन्ह लगाते है।
व्यक्ति के अंदर ऐसी आंतरिक भावना निर्मित करने के लिए हमें ऐसे समाज को साकार रूप देना होगा जिसके अंदर हम एक शिक्षित नागरिक समाज का निर्माण करें। जो अन्य सामाजिक भेदों, व्यवहारों से, रूढ़ियों से, सामाजिक विसंगतियों से दूर हो। तभी एक व्यक्ति के व्यक्तित्व का आदर्श विकास होता है।
तब ऐसा समाज कल्पित  होगा जब समाज ,लोकतांत्रिक समाज में और नागरिक समाज में तथा व्यक्ति नागरिक की भूमिका निभाएगा। सामाजिक नेतृत्व से ही राजनीतिक नेतृत्व तय होगा। और सामाजिक नेतृत्व चुने जाने का आधार लोकतांत्रिक हो, ना कि सामाजिक हो। ताकि आने वाली भावी पीढ़ी के भविष्य की आधारशिला आज से ही तय हो, तब हम ऐसे समाज को हमारे सपनों का स्वर्णिम समाज के रूप में चरितार्थ कर पाएंगे।

-विजय कुमार, अंबिका कॉलोनी मनावर, धार, मप्र

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शिक्षित व जागरूक होना जरूरी


“एक महान व्यक्ति एक प्रतिष्ठित व्यक्ति से अलग होता है, क्योंकि वह समाज की सेवा करने के लिए तैयार रहता है।”

फूलो की कहानी बहारों ने लिखी

रातों की कहानी सितारों ने लिखी

हम नहीं है किसी के गुलाम

क्योंकि हमारी जिंदगी बाबा साहब जी ने लिखी.


समाज सुधार के लिए इंसान का महान होना नहीं

बल्कि शिक्षित व जागरूक होना जरूरी है...

-सचिन खेड़े, ग्राम- सेमल्दा, करोली, मनावर

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डॉ. भीमराव अंबेडकर


डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14अप्रेल सन 1891 मे मध्य प्रदेश महू में हुआ था। वे बचपन से ही अपनी कक्षा में पड़ने में सबसे तेज छात्र थे। इनकी माँ का नाम भीमाबाई और पिताजी का नाम मालोजी सकपाल था वह 14 भाई बहन थे।

-उदित मकासरे, मनावर, धार




Comments

  1. सही है, समाज को बदलने के लिए पहले अपनी मानसिकता बदलना बहुत जरूरी है,
    तभी समाज मे बदलाव आयेगा

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