मेरे सपनों का स्वर्णिम मेरा समाज: भाग-3
वैज्ञानिक निष्कर्षों वाली परंपराओं को अपनाएं
भारतीय बहुजन समाज की जो पहली समस्या है वह है शराब जिससे की हमारे समाज को मुक्त होना होगा. क्योंकि शराब से ही सारे बुराइयों के रास्ते खुलते हैं. इससे समाज की प्रतिष्ठा तो खराब होती है साथ ही व्यक्ति के अपराधी बनने की संभावना की वजह भी यह बनती है. शराबी व्यक्तियों के घर की महिलाएं हमेशा कुंठित रहती है एवं बच्चों में एक भय सा बना रहता है. इसलिए हमारे समाज से शराब की मुक्ति कर शराब मुक्त समाज बनाना चाहिए.
नुक्ता रीति में हजारों रुपए का लोग नाश करते हैं मरने वाला मर जाता है और लोग घर में बड़े चाव से पकवान खाते हैं बताइए मरने वाले के घर में अच्छे पकवान बनना यह कुरीति नहीं तो और क्या है?
समाज से दहेज लेने-देने की कुप्रथा बंद होना चाहिए. इसके अतिरिक्त भी समाज में कई तरह की कुप्रथाएं चलती आ रही है जिन्हें बंद करना जरुरी है. समाज में सामूहिक विवाह के लिए समिति होनी चाहिए जिसके माध्यम से सामूहिक विवाह आयोजित कर समाजजन को विवाह के समय होने वाले आर्थिक संकट से बचाना चाहिए.
आज का युग विज्ञान का युग है हमारा रुझान भी विज्ञान के आधार पर वैज्ञानिक तौर तरीकों एवं निष्कर्षों पर चलने वाला होना चाहिए. हमें रूढ़िवादिता छोड़ वैज्ञानिक निष्कर्षों वाली परंपराओं को अपनाना होगा. तब ही हमारा समाज एक स्वर्णिम समाज के रूप में स्थापित हो पाएगा.
-विक्रम सोलंकी, वरिष्ट उपाध्यक्ष, बलाई समाज महासंघ तहसील इकाई मनावर, धार
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खुद से संकल्प लें
बलाई समाज स्वर्णिम तब होगा जब हम खुद से संकल्प लें
खुद ही तुमको लड़ना है न कोई बचाने आयेगा
बिना लड़े तू मिट्टी में मिल जायेगा।।
तब एकलव्य का तीर-धनुष न काम तुम्हारे आगेगा !
संघर्ष करो.. संगठित रहो.. के नारे को जब अपनाएंगा तभी तो स्वर्णिम समाज का निर्माण हो पाएगा।।
ना करो वंदन उनकी जिनको तुम जानते नहीं हो..
ना डरो उनसे जिन्हें तुम पहचानते नहीं हो..
क्यों उलझें हो तुम, पाखंडियो के भृम जाल मे "
इस बात को समझ पाओगे तभी, स्वर्णिम समाज का निर्माण कर पाओगे !
सावित्री बाई फुले, एनी बिसेंट, मदर टेरेसा, कमलादेवी, अनुसूया, रानी लक्ष्मी बाई जैसे वीरांगना का संघर्ष समझ जाओगे,
तभी तो स्वर्णिम समाज का निर्माण कर पाओगे !
संविधान केवल वकीलो का दस्तावेज नहीं है
बल्कि यह जीवन का माध्यम है
जिस दिन समझ में ये बात आयेगी ।
मंदिर में चंदा देने की बजाय,
विद्यालय निर्माण के लिए जनता चंदा जुटाएगी।।
तभी तो बाबा साहेब के संघर्ष को अंतिम छोर पर पहुचाएंगे..
और स्वर्णिम समाज का निर्माण कर पायेंगे।।
संघर्ष संघठन एकता का भाव मन मे जगाओगे
मोतियों को धागे मे सजायेंगे तभी तो स्वर्णिम समाज का निर्माण कर पाओगे...
-पायल सवनेर, ग्राम-बलीपुर, तह.-मनावर, धार
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माँ
प्यारी जग से न्यारी माँ
खुशियाँ देती सारी माँ
चलना हमें सिखाती माँ
सबसे मीठा बोल है माँ
दुनिया में अनमोल है माँ
खाना हमें खिलाती है माँ
लोरी गाकर सुलाती है माँ
प्यारी जग से प्यारी माँ
खुशियाँ देती सारी माँ
समाज के लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराकर आत्मनिर्भर निभाएं
बलाई समाज में अब भी कुछ सामाजिक बुराइयां है जैसे समाज में कई लोगों का अंधविश्वासी होना, अत्यधिक मदिरापान करना, आपस में मतभेद होना इत्यादि। हमें इन सब सामाजिक बुराइयों से मुक्ति पाना होगा। जब तक हमारे समाज का बुद्धिजीवी या शिक्षित वर्ग, आर्थिक रूप से मजबूत और हमारे समाज के जनप्रतिनिधि हमारे गरीब वर्ग के हित मे नहीं सोचेंगे तब तक हमारा समाज पिछड़ा ही रहेगा। इसलिए जरुरी है की हम सब एकजुट होकर हमारे स्वर्णिम समाज के सपने को साकार करने के लिए आगे आए।
समाज के संघ या संगठन ने ऐसी रूप रेखा तैयार करनी चाहिए जिससे की समाज के लोगों का स्वयं का रोजगार या स्वरोजगार शुरू हो सके जिससे की वे आत्मनिर्भर बन सके।
हमारे समाज के जिन बालक-बालिकाओं के वैवाहिक रिश्ते नहीं हो पा रहे हो तो समाज के लोगों को उसमें भी सहायता करना चाहिए।
समाज को स्वर्णिम बनाने के लिए एक संगठन एक मंच होना चाहिए क्योंकि विभिन्न टुकड़ो में बटे रहने से हमारे समाज का उत्थान नहीं हो सकता है। हमें बाबा साहेब अंबेडकर के सिद्धांतों पर चलना है व उनके सपने को साकार करना है।
-मितपाल गोयल, प्राथमिक शिक्षक, ग्राम बालीपुर, तह.मनावर, धार
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मनुवाद से घिरे हुए लोगों को जागरूक करना होगा
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शिक्षित, संगठित और संघर्ष करने से होगा स्वर्णिम समाज का निर्माण
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