मेरे सपनों का स्वर्णिम मेरा समाज: भाग-5
कई क्षेत्रों में हो सुधार तब बनेगा हमारा स्वर्णिम समाज
मेरे विचार से हमारा समाज तब स्वर्णिम समाज बन सकता है जब उसमें निम्नलिखित विशेषताएं होंगी-
1. समर्पण भावना- समाज में पूरी तरह समर्पण की भावना होना चाहिए.
2. त्याग की भावना- यदि हमें हमारे समाज को श्रेष्ट समाज बनाना है तो हमारे समाज के लोगों को मोह माया का त्याग करना होगा.
3. सहनशीलता- हमारे समाज के लोगों में सहन शक्ति भी होनी चाहिए. हमें कठिनाइयों, मुसीबतों या विपरीत हालातों से लड़ने एवं दुखों को सहन करते आना चाहिए.
4. निष्पक्षता- समाज में निष्पक्षता की भावना होनी चाहिए अथार्थ हमें अपने परिवार या परिचितों का ही हमेशा पक्ष नहीं लेना चाहिए हमारे लिए हमारा पूरा समाज ही एक परिवार है. हमें निष्पक्षता रखनी चाहिए एवं बिना किसी भेद भाव के रहना चाहिए.
5. निःस्वार्थ भाव- समाज में निजी स्वार्थ की भावना कदापि नहीं होनी चाहिए. हमें निजी स्वार्थ छोड़ समाज हित में कार्य करना चाहिए.
6. अंबेडकरी गुण - समाज में अंबेडकर विचार का होना जरुरी है. बाबा साहब ने जिस विचार धारा और मार्ग को अपनाया उस पर चल कर हम अपने समाज को ओर अधिक बेहतर बना सकते है.
7. समानता भाव- समानता का भाव होना चाहिए जिससे की किसी भी प्रकार से किसी के मन में छोटे बड़े की भावना न आए.
8. मानव ने जाति के 4 भाग किए है लेकिन मेरे विचारों से जाति सिर्फ एक ही होती है ओर वह है मानव जाति. इसलिए हमें हमारे दिमाक से यह चीज हटानी होंगी की हमसे ऊंची कोई अन्य जात है. हमें मानसिक रूप से स्वीकार करना होगा की हम ही सर्श्रेष्ठ है.
9. समाज में किसी भी प्रकार के द्वेष क्लेश की भावना नहीं होनी चाहिए.
10. समाजजन के पास तर्क, वितर्क की शक्ति होनी चाहिए.
11. समाज में प्रत्येक व्यक्ति को एक दूसरे के विचारो का सम्मान करना चाहिए.
12. यदि हम समाज हित का कार्य कर रहे है तो हमें स्वयं की समस्या में उलझे रहने के बजाए अपने समाज की समस्या पर फोकस कर उसका समाधान प्राथमिकता से करना चाहिए.
13. अपने समाज के लोगों के विचार सकारात्मक और मजबूत होना चाहिए क्योंकि जब भी हम अपने विचारों को प्रस्तुत करें इसके सकारात्मक परिणाम मिले.
14.समाजजन में लोगों की बात को सुनने और जवाब देने में धैर्य और शालीनता होनी चाहिए.
15. दूसरों को बदलने की बजाए स्वयं को बदलो तो बेहतर होगा... लहरों को बदलो कस्ती किनारा बदलेगी.... समाज अपनी सोच को बदलो..... समाज की तस्वीर बदलेगी....!
-दिलीप सोलंकी, पिंक फ्लावर कॉलोनी, मनावर, धार, मप्र
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वो शिक्षा है....
अंधकार को दूर कर जो प्रकाश फैला दे,
बुझी हुई आशा में विश्वाश जो जगा दे,
ज़ब लगे नामुमकिन कोई भी चीज
उसे मुमकिन बनाने की राह जो दिखा दे
वो शिक्षा है.........
हो जो कोई असभ्य, उसे सभ्यता का पाठ पढ़ा दे,
अज्ञानी के मन मे, जो ज्ञान का दीप जला दे,
दुर्गम मार्ग को जो सरल बना दे,
चकाचौंध और वास्विकता मे अंतर जो समझा दे
वो शिक्षा है.......
भेदभाव, छुआछूत और अंधविश्वास दूर भगाने का मंत्र है शिक्षा
जिस दिन समाज में हो शिक्षित सभी नर नारी
सफलता-समृद्धि खुद बने उनके पुजारी
इसलिए आओ शिक्षा का महत्व समझे हम,
पुरे मानव समाज को शिक्षित करे हम...
-सक्रांति कुड़िया, मनावर, धार, मप्र
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महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर मिले
हम आज भी ऐसे समाज में रह रहे है जहां नारी को पूरी तरह आजादी एवं सम्मान नहीं मिल रहा है. हमारे समाज में बेटियों को उच्च शिक्षित कम लोग ही करते है. गावों में आज भी यह माना जाता है कि बेटा उच्च शिक्षित होतो वह घर को अच्छे से संचालित कर सकता है. हमें समाज कि इस तरह की सोच को बदलनी होगा। लड़का लड़की में किसी तरह से भेदभाव नहीं करना चाहिए।
वर्तमान में हमारे समाज में देखने को मिल रहा है, कि बहुत से लोग अपनी लड़की की शादी करते है ,तो लड़के वालों से रुपयों की मांग करते हैं. यहां तक कि पैसों के लिए अपनी बेटी की शादी दूसरे राज्य एवं दूसरे समाज में कर रहे है. जो समाज के लिए ठीक नहीं है. इसलिए समाज के बेटे बेटियों की शादी समाज में ही करना चाहिए वो भी बिना किसी रुययों के लेनदेन के. जो व्यक्ति अपनी बेटियों की शादी के लिए वर पक्ष से रूपये लेता है उन्हें समझना चाहिए की उनकी बेटी कोई वस्तु नहीं है जिसे वे बेंच रहे है. अगर समाज में कोई बहू उच्च शिक्षा पाना चाहती है तो उसे शिक्षा का अवसर मिलना चाहिए. साथ ही बहू और बेटी को एक सा प्यार मिलना चाहिए.
-श्रीमती पार्वती बागेश्वर, ग्राम-बाग्लिया, तह.-मनावर,धार
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रानी लक्ष्मीबाई एवं गौतम बुद्ध
सभी ने अपने सुंदर विचार व्यक्त किये समाज के नन्हे बेटो ने भी अपनी कला का परिचय दिया व बहनों ने नारी की आजादी का पुरजोर समर्थन करते हुए पुरुष वर्ग से अपील की है उसका मैं मैं भी पुरजोर समर्थन करता हूं आज आवश्यकता है कि महिला और पुरुष दौनो मिलकर परिवार व समाज उठान में अपना योगदान देवे । आदरणीय भाई दिलीप जी सोलंकी ने स्वर्णीम समाज को साकार करने के जो सूत्र ववतर्क बताए वो उस पर सभी को अमल करने की आवश्यकता है इन सुझाव को यदि समाज के सभी लोग अंगीकार कर ले तो निश्चित हमारा समाज भी स्वर्णिम समाज बन सकता है । सभी को बधाई एवं शुभ कामना 🙏🙏🌹🌹चंपालाल उपाध्याय शिक्षक लोंगसरी
ReplyDeleteबहुत सुंदर विचार मेडम जी
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