अक्षय: कृष्णा जोशी, इन्दौर
अक्षय सत्य , धर्म, कर्म, का जीवन में भण्डार।
अक्षय दान, पुण्य करो अपनाओं सदाचार।
अक्षय तृतीया को जो करें दान , कर्म और पुण्य।
अखण्ड सुख भण्डार हो कभी ना होवें शून्य।
पावन शब्द अक्षय मिला समझो इसका मान।
अक्षय गुण अपना लों तो कभी ना हो अपमान।
अक्षय सुख सभी को मिलें यही करें दुआ।
प्रार्थना सभी के लिए करना सत्य धर्म हुआ।
अक्षय जल, अन्न,सुख मिलें सभी को कभी ना पड़े सूखा।
कृष्णा कहें धरती पर कोई ना रहे भूखा।
अक्षय ,अक्षय, अक्षय हो सभी में सद्गुण।
कभी ना इसका अंत होवे बात यह भी पूर्ण।
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