अंधविश्वास

अंधविश्वास के प्रभाव से पढ़े-लिखे लोग भी अछूते नहीं हैं. एक और जहां विज्ञान में नीत नए आविष्कार हो रहे है और हमारी पहुँच दूसरे ग्रहों तक हो गई है किन्तु फिर भी देश में बेमतलब के रीति-रिवाज माने जाते हैं. यहां तक की असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में अंधविश्वास के चलते 'कोरोना देवी' की पूजा की गई. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों के लिए जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2000 से 2012 के दौरान 350 लोगों को इस शक में मार दिया गया कि वो दूसरों पर काला जादू कर रहे हैं. पिछले तीन सालों के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ तेलंगाना में ही कुल 39 मामले दर्ज किए गए हैं. विडंबना है कि हम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के द्वारा अत्यधिक उन्नत और विकसित तो हुए है किन्तु  दूसरी तरफ कुरीतियों, मिथकों, रूढ़ियों, अंधविश्वासों एवं पाखंडों ने हम अब तक घिरे हुए हैं. अंध विश्वास एक मनोवैज्ञानिक रोग है जो केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में फैला हुआ है. अंधविश्वास से बचने के लिए हर बात का वैज्ञानिक तथ्यों एवं निष्कर्षों पर परीक्षण करने पर ही विश्वास करना चाहिए. बिना सत्यता जांचे किसी भी चीज को स्वीकार करना अंधविश्वास को बढ़ावा देना है.

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