मानसून: इन्दिरा कुमारी, नोएडा

 


आज पूर्वा बयार क्या बहने लगी 
स्वप्न मानसून का साकार होने लगा .।

था प्रकृति को वर्षों से इसका इंतजार 
न जाने बहेगी कब पूर्वा बयार 

आज पेड़ पौध बयार संग झूमने लगा
पात हरियाली के रंग में रंगने लगा।

आज पूर्वा बयार क्या बहने लगी 
स्वप्न मानसून का साकार होने लगा .।

झुलसकर कली पुष्प बन न सकी 
सूखकर बगिया में यूँ गिर गई 

आज नव नव कली संग पुष्प महकने लगा 
बगिया में भंवरा बहकने लगा ।

आज पूर्वा बयार क्या बहने लगी 
स्वप्न मानसून का साकार होने लगा .।

खग विहग की चहचहाहट प्यास से बुझ गयी 
जल की तलाश में उड़ान थम गयी 

आज बुझाकर प्यास वह उड़ान भरने लगा 
धरती से आसमान छूने लगा ।

आज पूर्वा बयार क्या बहने लगी 
स्वप्न मानसून का साकार होने लगा ।.

थामकर हल कृषक ने किया इंतजार
बहा दिया उसको अब पुर्वा बयार 

आज खेतों में पौध पौध सजने लगा
उम्मीदों का भण्डार भरने लगा ।

आज पूर्वा बयार क्या बहने लगी 
स्वप्न मानसून का साकार होने लगा .।

वर्षों प्रिया अपने प्रिय को निहारती 
हुआ न मधुर मिलन विरह में विहारती 

आज नयनन से श्रृंगार रस यूं वहने लगा 
जैसे घटा संग बदरा बरसने लगा ।

आज पूर्वा बयार क्या बहने लगी 
स्वप्न मानसून का साकार होने लगा .।

अब आ जा रे बदरा तूं जम के बरस जा 
प्रकृति के आंगन में जान तूं परोस जा

आज जीवन में संचार होने लगा 
मानसून के प्यार में बहने लगा ।

आज पूर्वा बयार क्या बहने लगी 
स्वप्न मानसून का साकार होने लगा .।


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