कविता- पधारें आंगन राजा इंद्रराज
पधारें हमारे आंगन राजा इन्द्रराज
सुस्वागतम आपका यहां महाराज।
आऐ जो आप छाई यह खुशहाली
अब पूर्ण होंगे सभी के सारे काज।
चहक रही चिड़ियां पक्षी और मोर
महकी ये मिट्टी खेतों में चारों और।
प्रकृति भी लगी है आज मुस्करानें
हुआ जो सुहाना प्यारा प्यारा भोर।
झूम रहे सारे ये जंगल के जानवर
याद करते सभी आपको हर पहर।
झड़ लगाई आपने ऐसी रिमझिम
ख़्याल मेरे आया कविता का मन।।
बरसों ऐसा भरदो ये नदी तालाब
प्यासा न रहें कोई न लाएं सेलाब।
वाहन है आपका ये ऐरावत हाथी
निमंत्रण दे रहे सभी भारतवासी।।
-गणपत लाल उदय (दीवान), अजमेर, राजस्थान
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