आया मानसून झूम के


 

घटा घनघोर संग, बिजली कड़क जोर संग

झिहिर झिहिर बयार संग,मानसून अब आ गया।


मचल उठे धरा गगन,बहक बहक बहे पवन

मयूरनी के नृत्य संग, झूम झूम आ गया।


बरस गया झमाझम,खेत खलिहान जलमग्न

देख अपार हर्ष संग,कृषक मुस्कुरा दिया।


उठे कृषक निज शस्त्र संग, हल, बैल, कुदाल संग

नव नव उमंग संग,फसल अब लगा दिया।


मिला वरदान मानसून का,जनहित कल्यान का

मोतियों सी बून्द संग,आशीष सबने पा लिया।

-इन्दिरा कुमारी, नोएडा

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