बारिश, बाढ़ और बचाव

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बारिश-

समुद्र का जल वाष्प बनकर ऊपर उठता है और जब बादल ठंडे होते हैं तो गैसीय भाप तरल पानी में बदलने लगती है और ज्यादा ठंडक होने पर यह बर्फ में भी बदलने लगती है. वाष्प के सघन होने की प्रक्रिया को संघनन कहते हैं. लेकिन बारिश होने के लिए केवल यही काफी नहीं है. पहले तरल बूंदें जमा होती हैं और बड़ी बूंदों में बदलती हैं. जब ये बूंदें भारी हो जाती हैं तब कहीं जा कर बारिश होती है. पानी के आसमान से नीचे आने की प्रक्रिया को वर्षण (precipitation) कहते हैं. वर्षण कई तरह से होते हैं. यह बारिश (Rainfall), ओले गिरना, हिमपात आदि के में हो सकता है. जब पानी तरल रूप में न गिर कर ठोस रूप में गिरता है तो उसे हिमपात कहेंगे.  वहीं बारिश के साथ बर्फ के टुकड़े गिरना ओलों (Hailstones) का गिरना कहलाता है. इसके अलावा कई जगह सर्दियों में पानी की छोटी छोटी बूंदें भी गिरती हैं जिन्हें हम ओस (Dew) कहते है.

बारिश होने के है कई सिस्टम-

पृथ्वी पर बहुत सारी प्रक्रियाएं हैं जिनके कारण किसी स्थान पर बारिश होती है. भारत में सबसे जानी मानी प्रक्रिया है मानसून की प्रक्रिया जिसकी वजह से एक ही इलाके में एक से तीन चार महीने तक लगातार या रुक रुक कर बारिश होती है. वहीं कई बार बेमौसम बारिश होती है जिसे स्थानीय वर्षा कहा जाता है. हालाँकि बारिश की कई वजह है. समुद्र स्थल से दूरी, इलाके में पेड़-पौधों की मात्रा, पहाड़ों से दूरी, हवा के बहने का पैटर्न और जलवायु के अन्य तत्व मिलकर तय करते है कि किसी जगह पर बारिश कैसी, कब-कब और कितनी होगी. कई बार समुद्र से चक्रवाती तूफान बारिश लाकर तबाही तक ला देते हैं.

बाढ़-

भारत में बाढ़ के कुछ प्रमुख कारणों में अधिक वर्षा, भूस्खलन, नदियों और नालियों के मार्ग अवरुद्ध होना इत्यादि है. ज्यादातर बाढ़ कुछ विशेष क्षेत्रों और वर्षा ऋतु में ही आती है. मानवीय क्रियाकलापों जैसे अंधाधुंध वनों की कटाई,  प्राकृतिक अपवाह तंत्रों का अवरुद्ध होना तथा नदी तल और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मानवों के रहवास की वजह से बाढ़ की तीव्रता, परिमाण और विध्वंसता अत्यधिक बढ़ गई है. विश्व में बाढ़ के मामले में भारत दूसरा देश है.

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-सुदर्शन सोलंकी, 79, शिक्षक कॉलोनी, मनावर, धार

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