यादगार राखी

भैया ने दिया हौसला तो राखी यादगार बन गई 


वैसे तो कल्पना को हर राखी पर अच्छा उपहार और ढेर सारी खुशियां मिलती रही है. लेकिन पिछले वर्ष की राखी उसके लिए अलग ही थी क्योंकि पिछले वर्ष ही कल्पना ने अपना स्नातक पूरा किया था और उसे शीघ्र ही नौकरी चाहिए थी. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से कल्पना के पिताजी का व्यवसाय पूरी तरह ठप हो चूका था. भाई का काम धंधा भी चौपट हो गया था. इस वजह से घर पर आर्थिक संकट आ गया था. 

कल्पना जॉब कर परिवार को संबल प्रदान करना चाहती थी किन्तु लॉकडाउन की वजह से जॉब मिलना मुश्किल हो गया था. इसलिए वह खुद ही टूटने लगी और गुमसुम सी रहने लगी. हर राखी पर ढेर साडी शॉपिंग और मौज मस्ती करने वाली लड़की अबकी बार उदास थी. हर बार भैया को राखी बांधने के बाद हक से गिफ्ट मांगने वाली इस बार राखी बांध कर मौन थी. 

अपनी लाड़ली बहन को इस तरह देख भाई से रहा नहीं गया और उसने अपनी प्यारी बहन को एक अच्छा सा उपहार दिया साथ ही हौसला दिलाया की वह सभी चिंताओं से मुक्त हो जाए और तनावमुक्त होकर इंटरव्यू की तैयारी करें इतना कहकर भैया ने अपनी बहन को गले से लगा लिया. अब कल्पना नए जोश और हौसले से भर गयी थी. उसने इंटरव्यू निडर होकर दिया और जॉब हासिल कर ली. राखी पर दिए गए भैया के प्यार और हौसले की बदौलत कल्पना को न सिर्फ जॉब मिली बल्कि अब उसने परिवार को आर्थिक संकट से भी बाहर निकल दिया है. इसलिए कल्पना की यह राखी हमेशा के लिए यादगार बन गयी है.

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