ई-कचरे का सही तरीके से प्रबंधन और निपटान हो
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने 2019 में कहा था कि दुनिया में प्रति वर्ष लगभग 50 मिलियन टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा होता है, जिसका वजन अब तक निर्मित सभी वाणिज्यिक विमानों से अधिक है. यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी द्वारा एक नई रिपोर्ट 'ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2020' से पता चला है कि वर्ष 2019 में 5.36 करोड़ मीट्रिक टन कचरा पैदा किया था जो कि पिछले पांच सालों में 21 फीसदी बढ़ गया है, जबकि अनुमान है कि 2030 तक इस इलेक्ट्रॉनिक कचरे का उत्पादन 7.4 करोड़ मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगा. वर्तमान समय में हम तेजी से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को अपनाते जा रहे हैं. इन उत्पादों का जीवन काल छोटा होने की वजह से यह कुछ ही समय में ई-कबाड़ बन जाते है. ई-कचरा ज़हरीला और जटिल कोटि का कचरा है. ई-कचरे को अगर ठीक से री साइकिल नहीं किया तो इसका एक विशाल पहाड़ खड़ा हो जाएगा जिससे की यह किसी बड़ी घातक महामारी के जन्म का कारण हो सकता है. इसलिए ई-कचरे का सही तरीके से प्रबंधन और निपटान करना जरूरी है, अन्यथा हम पर्यावरण और स्वास्थ्य को बेहतर नहीं रख सकेंगे.
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