ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ रहे कार्बन टाइमबम


ग्लोबल वार्मिंग से पूरी दुनिया गर्म हो रही है, किन्तु इसका असर सभी जगह पर एक समान नहीं हो रहा है. अध्ययन से पता चला है कि आर्कटिक इलाके में, दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग का असर तीन गुना ज्यादा हो रहा है. आर्कटिक इलाके के कई स्थायीतुषार (स्थायी तुषार उस भूमि को कहते हैं जो कम से कम लगातार दो साल तक जमी रही हो) वाले स्थानों और उसके आसपास के दलदली इलाकों, तालाबों आदि में से हाइड्रोजन सल्फाइड जिसे स्वाम्प या दलदली गैस कहा जाता है का निकलना सामान्य है, किन्तु अब वहां से मीथेन गैस का निकलने लगी है. जो गंभीर चिंता का विषय है. वैज्ञानिकों के अनुसार लंबे समय से स्थायीतुषारों में बंद कार्बन के भंडार खुल गए है. इसमें अलास्का, ग्रीनलैंड, स्वीडन, साइबेरिया जैसे उत्तरी ध्रुव के इलाकों के साथ हिमालय और तिब्बत भी सम्मिलित है. वैज्ञानिकों के अनुसार स्थायी तुषार एक तरह के कार्बन टाइमबम की तरह होते है. जो पर्यावरण को अत्यधिक क्षति पहुंचते है. इसलिए ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को गंभीरता से हल करना होगा.

Comments

  1. ग्लोबल वार्मिंग सबसे पहले धरा की खूबसूरत चीजों को खत्म करने पर तुला है।

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