बेटियां - वंदना दवे, भोपाल


 छोटी सी बिटिया

 तैयार होती है

चुन्नियाँ साङी बनाकर

 पहनती है

चुङियाँ, माला, बिंदी ये नाम 

आज भी चलन में है, 

क्योंकि घरों में बेटियाँ है

सावन भी सजता है 

तो बेटियों से

टेटू की चाहे कितनी ही 

बातें हो

मेंहदी लगाना इन्हें आज भी 

भाता है

लहंगा चुन्नी रोज न सही 

मगर

त्योहारों, शादियों में पहन,

 उन्हें ये सजा जाती है

सजती है बेटियाँ 

बाज़ार सज जाते हैं 

और बाज़ार बेटियों से 

चलने लगते हैं 

बेटी सज़ा नही है 

ये दुनिया सजा जाती है

बदरंग सी जिंदगी 

रंगों से भर देती है

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