अमृत महोत्सव- इंदिरा कुमारी

 


लहर तिरंगा आसमान में

बलिदान का ऋण चुका रहा

लहर लहर वो पवन गति संग

कथा विजय की सुना रहा।


हरा,धवल संग केसरिया रंग

चक्र संग यूं घूम रहा

कर शक्ति प्रदर्शन सच्चाई संग

समृद्धि का मार्ग वो चूम रहा।


त्याग की यह मिसाल तिरंगा

संसार को यह दरसा रहा

सत्य में है शक्ति विजय की

अमृत वाणी बरसा रहा।


आजादी का यह साल पचहत्तरवां

उत्सव हिन्द मना रहा

चल रे वतन ले हाथ तिरंगा

यह महोत्सव अमृत मना रहा

महोत्सव अमृत मना रहा।

जय हिन्द🌹🙏

Comments

  1. Baah, Bahut hi achha likha hai Aapne. Pranam

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