बेटियां- वंदना दवे



सजती है बेटियाँ 

बाज़ार सज जाते हैं 

और बाज़ार बेटियों से 

चलने लगते हैं 

बेटी सज़ा नही है 

ये दुनिया सजा जाती है

बदरंग सी जिंदगी 

रंगों से भर देती है


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