हिंदी
हिन्द के हिन्दोस्तां की
बेटी है हिन्दी।
भारत के ललाट की शोभा
बिन्दी है हिन्दी ।
देवभाषा संस्कृत की पुत्री
बनकर उपजी हिन्दी ।
सभी भाषाओं की अग्रजा
बनकर आई है हिन्दी ।
सभी बोलियाँ संग साथ ले
हिल मिल संग चले ।
अपने और परायों बीच
संवाद बनी हिन्दी ।
भाषा जोड़ रही है सबको
एक छत्र के नीचे ।
एक राष्ट्र की परिभाषा बन
चुनी एकजब भाषा।
लेकर संग सभी भाषा तब
हिन्दी बनी राष्ट्र भाषा ।
अब तो सभी देश में फैली
हिन्द की हिन्दी बोली ।
अपना परचम फहरायेगी
विश्व गुरू के पद पर ।
माना कि देर हुई है फिरभी
नही होगा अंधेर कभी ।
धैर्य और संयम की जग में
जीत सदा ही होती है ।
करें प्रतीक्षा हमउस पल की
सम्मानित हिन्दी होगी ।
✍️उषासक्सेना
Comments
Post a Comment
hey, don't forget to follow me.
feel free to give suggestions and ideas for my next article.