दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने का सराहनीय प्रयास


जनगणना 2011 के अनुसार भारत में कुल 2.68 करोड़ लोग विकलांगता के शिकार हैं. ऐसे लोगों को एक सामान्य जीवन से जोडऩे के लिए सरकारी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. परन्तु नई दिल्ली वाई-एम-सी-ए डिवीजन ने 1980 में ऐसे लोगों के लिए  ‘विशेष शिक्षा’  देने की शुरूआत की है जिसमें  छात्रों को अत्यंत कम शुल्क में अच्छी शिक्षा मिले और आर्थिक रूप से सक्षम नहीं छात्रों को संस्था द्वारा छात्रवृत्ति भी दी जाती है. वाई-एम-सी-ए ने इस ओर ठोस कदम उठाया और इसके अंतर्गत दिव्यांग बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ शिक्षा ग्रहण करने का लाभ दिया ताकि दिव्यांग बच्चे भी अन्य बच्चों की तरह न सिर्फ शिक्षा ग्रहण कर सकें बल्कि इससे उनका मानसिक विकास भी हो. इसके कारण जब सकारात्मक आया तो इसे जारी रखा गया साथ ही दिव्यांगों के विकास के लिए शिक्षा के साथ-साथ वार्षिक क्षमता महोत्सव का आयोजन किया गया ताकि सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य कार्यक्रम जैसे- संगीत, नाटक, नृत्य, पेंटिग, हस्तकला-शिल्पकला के द्वारा वह अपनी कला का प्रदर्शन कर सकें और उनके व्यक्तित्व का विकास हो. इन सब के द्वारा वाई-एम-सी-ए के कार्यकर्ता दिव्यांग बच्चों के कौशल को पहचानने और उन्हें और आगे ले जाने का काम कर रहे हैं. जिससे की ‘विशेष शिक्षा’ के अंतर्गत शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे अपने आत्मविशवास के बल पर जीवन में आगे बढ़ सकें.

Comments

  1. मानसिक विकलांग के साथ किसी को हमदर्दी नहीं होती।एक बंद कमरे में उपेक्षित व अपमानित जिन्दगी जीते हैं। दिव्यागो की तरह इनको भी राहत मिलनी चाहिए ।पैंशन व पुनर्वास की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि ये भी आत्मसम्मान के साथ जी सकें।

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  2. Hello mam please mujhe aap contact karna plz informa aap
    Se

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