उजियारी पूनौं
आश्विन मास की शरद पूर्णिमा जिस दिन टेसू और झिझिया का विवाह हुआ था । कुंआरी कन्यायें रात्रि भर झिंझिया को लेकर नाचती हैं । इसे कोजागिरी पूनौंभी कहते हैं ।को। +जागे री अर्थात इस समय कौन जाग रहा है यह देखने के लिये लक्ष्मी जी भ्रमण करती हुई जागने वालों को सुख संपदा एवं स्वास्थ्य का वरदान देती हैं ।शरद पूर्णिमा की रात को निर्मल स्वच्छ धवल चंद्रमा अपनी शीतल चंद्र किरणों से अमृत वर्षा करते हुये पृथ्वी के सबसे निकट होते हैं ।उनका शीतलता प्रदान करता हुआ आने वाली शीत ऋतु के आगमन के लिये हमारे शरीर को अपनी शीतल चांदनी में पकाई हुई खीर को शीतलता प्रदान कर अमृत की वर्षा करता है ।आज की इस रात्रि का विशेष महत्व है ।यह जीव की ब्रह्म से मिलन की रात्रि है जिसमें श्री कृष्ण ने रास मंडल के द्वारा अपने सभी गोप ग्वालों ए्वं राधा जी ने अपनी सखियों के साथ बांसुरी की सुर लहरी पर ताल से ताल मिलाते हुये नृत्य किया था ।अपनी बाँसुरी की धुन पर सभी को नचाते हुये ब्रह्म रूपी श्रीकृष्ण और जीव रूपी राधा के साथ गोपियां। जिसे देख कर स्वयं महादेव भी अपने आपको नही रोक पाये और गोपी का रूप धारण कर श्रीकृष्ण के